दिल्ली हाई कोर्ट.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (डीओई) से कहा है कि वह निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में में ईडब्ल्यूएस (EWS) कोटे के तहत नामांकन को लेकर आवेदन करने वालों की फार्म में की गई टाइपोग्राफिकल गलतियों को ठीक करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने पर विचार करे.
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत नामांकन के लिए आवेदन करने वाले समाज के वंचित तबके से आते हैं. उनके फार्म में टाइपोग्राफिकल त्रुटियां हो सकती हैं, क्योंकि उनमें से कई उच्च शिक्षित या तकनीकी रूप से कुशल या साइबर-साक्षर नहीं हो सकते हैं. ऐसी गलतियां की वजह से बच्चों को लाटरी के माध्यम से आवंटित स्कूल में नामांकन कराने से वंचित हो सकते हैं.
कोर्ट ने आगे कहा कि, इस दशा में यह अदालत शिक्षा निदेशालय से उचित दिशा-निर्देश तैयार करने या सुधारात्मक उपाय करने पर विचार करने का आग्रह करता है. जिससे यह सुनिश्चित हो सके उसके निदेशक के पास आवेदन करने वालों की ऐसी त्रुटियों को ठीक किया जा सके.
न्यायमूर्ति ने यह निर्देश एक लड़की की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया जिसने ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत एक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल की नर्सरी में नामांकन के लिए आवेदन किया था. आवेदन जमा करते समय टाइपोग्राफिकल त्रुटि हुई थी, जिसमें उसके माता-पिता के नाम के बजाय उसके दादा-दादी के नाम गलती से दर्ज हो गए थे.
लड़की ने कहा था कि शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल आवंटन के बावजूद स्कूल ने आवेदन पत्र में टाइपोग्राफिकल त्रुटि का हवाला देते हुए उसका नामांकन करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा होने पर लड़की का नामांकन करने से वंचित नहीं किया जा सकता है. साथ ही शिक्षा विभाग से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि नाबालिग लड़की के नामांकन फार्म में टाइपोग्राफिकल त्रुटि को ठीक कर उसे प्रवेश दिया जाए.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.