दिल्ली हाई कोर्ट.
2020 में दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामले में यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (United Against Hate) के फाउंडर खालिद सैफी (Khalid Saif) को 2020 में हुए दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हत्या के प्रयास का मुकदमा खत्म करने की मांग को लेकर दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है.
निचली अदालत ने तय किए थे आरोप
दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. जनवरी में निचली अदालत ने खालिद सैफी, इशरत जहां और 11 अन्य के खिलाफ हत्या की कोशिश के आरोप तय किए थे. हालांकि, कोर्ट ने उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत बरी कर दिया गया था. सैफी ने कोर्ट में दलील दी थी कि इस मामले में उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट के केस खत्म किया जा चुका है. ना तो उसके पास कोई हथियार बरामद किया गया और ना ही उस पर गोली चलाने का आरोप है. इसलिए आईपीसी की धारा 307 (हत्या की कोशिश) के तहत मुकदमा नहीं चल सकता है.
दिल्ली दंगों में मास्टरमाइंड होने का आरोप
जनवरी में अदालत ने खालिद सैफी, शरजील इमाम और उमर खालिद सहित अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे. खालिद सैफी, शरजील इमाम और उमर खालिद सहित कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों (2020 Delhi Riot) के मास्टरमाइंड होने के आरोप में यूएपीए (UAPA) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में हुए प्रदेर्शनों के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सैफी के खिलाफ मामला सबूतों पर आधारित है और अभियुक्तों के बीच व्हाट्सएप संदेशों के आदान-प्रदान से यह स्पष्ट है कि सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान चक्का जाम और फिर हिंसा हुई थी. विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने सैफी के इस दावे के खंडन किया था कि सह-आरोपी अमर खालिद और शरजील इमाम के साथ उसका कोई संबंध नहीं था. सैफी मौजूदा मामले में मार्च 2020 से हिरासत में है.
-भारत एक्सप्रेस
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