पांच साल पहले साल 2019 में जब ये व्हेल नॉर्वे के तट पर दिखी थी, तो ख़ूब चर्चा में रही थी.
क्या आपने एक भागी हुई ‘जासूस व्हेल’ की कहानी सुनी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे रूसी सेना ने ट्रेनिंग दी थी. वो सफेद रंग की ऐसी व्हेल मछली थी, जो रूस के पड़ोसी देश नॉर्वे के तट पर पट्टा पहने हुए नजर आई थी.
उस व्हेल मछली को ‘बेलुगा व्हेल’ कहा गया. पांच साल पहले 2019 में जब वो व्हेल नॉर्वे के तट पर दिखी थी, तो ख़ूब चर्चा में रही थी. पश्चिमी देशों की मीडिया में तब ‘बेलुगा व्हेल’ के रूस की जासूस होने के कयास लगाए गए थे. और, फिर उसके गायब होने की खबरें आने लगी थीं.
पालतू सफ़ेद मछली है ‘बेलुगा व्हेल’
बहरहाल, इस व्हेल का रहस्य सुलझ गया है. BBC की रिपोर्ट के अनुसार, ‘बेलुगा व्हेल’ एक पालतू सफ़ेद व्हेल है, जो अभी कहीं जासूसी नहीं कर रही, बल्कि उसे रूस के नौसैनिक अड्डे की सुरक्षा करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था.
इस रहस्य से पर्दा उठाया है, 1990 के दशक से रूस में समुद्री स्तनधारियों पर अध्ययन करने वाली डॉ. ओल्गा शपाक ने. डॉ. ओल्गा 2022 में अपने मूल देश यूक्रेन लौटीं. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने ‘बेलुगा व्हेल’ का नाम ह्वालदिमीर रख दिया है.
डॉ. ओल्गा शपाक ने दी जानकारी
डॉ. ओल्गा शपाक यह भी कहती हैं कि उन्हें नहीं लगता कि ये व्हेल कोई जासूस होगी. वो मानती हैं कि ‘बेलुगा व्हेल’ को नोसैनिक अड्डे की सुरक्षा करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था. उन्हें लगता है कि ये व्हेल ‘उपद्रवी’ होने के कारण वहां से भाग गई थी.
Norwegian Orca Survey की ओर से ‘बेलुगा व्हेल’ की कुछ तस्वीरें जारी की गईं. तस्वीरों में दिख रहा है कि सफेद रंग की व्हेल, किसी तरह से एक गोताखोर की किट के साथ तैर रही थी. इस व्हेल के शरीर पर एक स्ट्रैप था, जो शायद कैमरा या अन्य निगरानी उपकरण से जुड़ा हुआ था. इसके अलावा, व्हेल के गले में एक उपकरण की धारियाँ भी पाई गईं, जिससे यह संदेह पैदा हुआ कि यह व्हेल रूस के लिए काम कर रही हो सकती है.
रूस ने नहीं किया आरोपों का खंडन
कुछ रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों के अनुसार, यह व्हेल रूस की सेना द्वारा समुद्री निगरानी या अन्य संवेदनशील गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित की गई थी. हालांकि, रूस ने कभी इस आरोप की पुष्टि या खंडन नहीं किया, लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह व्हेल सैन्य उद्देश्यों के लिए प्रशिक्षित की जा सकती थी, क्योंकि रूस ने पहले भी समुद्री जानवरों का उपयोग अपनी सैन्य गतिविधियों में किया है.
इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दिया कि क्या समुद्री जीवों का इस्तेमाल आधुनिक युद्ध और जासूसी गतिविधियों में किया जा सकता है, और क्या इस तरह की जानवरों के प्रशिक्षण की कोई वैधता हो सकती है.
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– भारत एक्सप्रेस