दिल्ली के जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने और इसके आसपास से सभी अतिक्रमण हटाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट 29 जनवरी को सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से पेश वकील ने मस्जिद परिसर का मुआयना कर रिपोर्ट दाखिल करने और वक़्त दिए जाने की मांग की. कोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को 22 जनवरी तक का वक़्त दे दिया है. मस्जिद परिसर के मुआयना करते वक़्त एएसआई के साथ वक़्फ बोर्ड के सदस्य, याचिकाकर्ता के प्रतिनिधि वकील मौजूद रहेंगे.
जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के कई महत्वपूर्ण प्रभाव
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को जामा मस्जिद व इसके आसपास सर्वे-निरीक्षण करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को यह बताने के लिए कहा था कि क्या जामा की प्रबंध समिति के संविधान में कोई परिवर्तन किया गया है या नहीं. हाईकोर्ट ने एएसआई से यह भी स्पष्ट करने को कहा था कि जामा मस्जिद अभी तक एएसआई के अधीन क्यों नही थी. एएसआई द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने के कई महत्वपूर्ण प्रभाव होंगे. इस निर्णय के बाद 100 मीटर निर्माण कार्य निषिद्ध हो जाएगा, और 200 मीटर के अतिरिक्त क्षेत्र में निर्माण पर कड़े नियम लागू होंगे.
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याचिकाओं में उठाया गया सवाल
एएसआई ने कोर्ट को बताया था कि संरक्षित स्मारक घोषित किए बिना ही उन्होंने 2007 से 2021 के बीच जामा मस्जिद के संरक्षण और मरम्मत पर लगभग 61 लाख रुपये खर्च किए हैं. बता दें कि कोर्ट सुहैल अहमद खान और अजय गौतम द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही हैं. इसमें जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी द्वारा शाही इमाम उपाधि के इस्तेमाल और उनके बेटे को नायब इमाम के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति जताई गई है. याचिकाओं में अधिकारियों को जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने और उसके आसपास सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश देने की मांग की गई है. याचिकाओं में यह भी सवाल उठाया गया है कि जामा मस्जिद एएसआई के अधीन क्यों नहीं थी.
-भारत एक्सप्रेस
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