K-9 वज्र-T तोप
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 7,629 करोड़ रुपये के एक महत्वपूर्ण कॉन्ट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत लार्सन एंड टुब्रो (L&T) से 100 और K-9 Vajra-T स्व-चालित ट्रैक्ड तोपों की खरीद की जाएगी. यह तोपें विशेष रूप से उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में, जैसे कि भारत-चीन सीमा पर तैनात की जा सकेंगी.
अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस तोपें
ये 100 नई K-9 Vajra-T तोपें, जो 28-38 किलोमीटर तक की मारक क्षमता रखती हैं, भारतीय सेना की पहले से तैनात 100 तोपों के अतिरिक्त होंगी, जिन्हें 4,366 करोड़ रुपये के समझौते के तहत मई 2017 में खरीदी गई थीं. ये तोपें मुख्य रूप से रेगिस्तानी युद्ध के लिए खरीदी गई थीं, लेकिन 2020 में लद्दाख में भारत-चीन सैन्य संघर्ष के बाद इन्हें शीतकालीन किट्स से सुसज्जित किया गया ताकि उन्हें उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सके.
नई K-9 Vajra-T तोपों की विशेषताएँ
नवीनतम 100 K-9 Vajra-T तोपें अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होंगी और इन्हें सब-ज़ीरो तापमान वाले उच्च-ऊंचाई वाले इलाकों में पूरी क्षमता के साथ काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह तोपें उच्च सटीकता और तेज़ दर से फायरिंग करने में सक्षम होंगी, जिससे सेना की मारक क्षमता में इज़ाफा होगा.
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का समर्थन
यह परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत में घरेलू उद्योगों, विशेष रूप से लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को प्रोत्साहन प्रदान करेगी. इससे चार वर्षों में 9 लाख से अधिक मानव दिवसों का रोजगार भी उत्पन्न होगा.
आर्टिलरी मॉडर्नाइजेशन में योगदान
यह कॉन्ट्रेक्ट सेना की आर्टिलरी मॉडर्नाइजेशन प्रक्रिया को तेज़ करेगा और उसकी समग्र ऑपरेशनल तत्परता को बेहतर बनाएगा. भविष्य में, भारतीय सेना अन्य स्वदेशी और विदेशी तोपों, मिसाइलों, रॉकेट प्रणालियों और लोटिंग मुनिशन्स के माध्यम से अपनी आर्टिलरी शक्ति को और मजबूत करने की योजना बना रही है.
इस कॉन्ट्रेक्ट से भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता में मजबूती आएगी और रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा.
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