बसपा प्रमुख मायावती. (फोटो: IANS)
Milkipur Bypoll: उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट में हो रहे उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भाग नहीं ले रही है. 9 सीटों के उपचुनाव के बाद ही बसपा मुखिया मायावती ने इसका खुद ऐलान किया था. इसके बाद से बसपा ने मिल्कीपुर विधानसभा से अपना ध्यान हटा दिया है. अब यहां भाजपा और सपा का सीधा मुकाबला नजर आ रहा है. फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर बहुप्रतीक्षित उपचुनाव 5 फरवरी को होगा और चुनाव परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे.
राजनीतिक जानकारों ने बताया कि बसपा के मैदान से बाहर हो जाने से मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार बढ़ गए हैं. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर पहले ही सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को मैदान में उतारा है. वह लगातार प्रचार में जुटे हुए हैं. चंद्रशेखर रावण भी अपना उम्मीदवार उतार सकते हैं. भाजपा यहां पर मकर संक्रांति के बाद अपने पत्ते खोलेगी. कांग्रेस ने पहले ही सपा को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है. इस बार इस सीट की चर्चा पूरे देश में होगी. क्योंकि यह सीट अयोध्या से जुड़ी है. इसके साथ यह सीट सुरक्षित भी है.
किसी का सपोर्ट भी नहीं करेंगी बसपा
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल का कहना है कि बसपा मुखिया मायावती ने उपचुनाव के परिणाम के बाद ही ऐलान कर दिया कि बसपा उपचुनाव में भाग नहीं लेगी. उन्होंने कहा कि जब सभी राजनीतिक दल चाह रहे हैं कि चुनाव बैलेट से हो, इस पर आयोग संज्ञान नहीं ले रहा है. उन्होंने कहा कि जब बसपा इस चुनाव में भाग नहीं लेगी तो किसी को हम सपोर्ट क्यों करेंगे. बसपा मुखिया मायावती ने जो आदेश कर दिया है, उसी का पालन होगा.
अयोध्या से जुड़ी है सीट
राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि मिल्कीपुर सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह अयोध्या से जुड़ी है. यहां के विधायक अवधेश प्रसाद ने 2024 में जीत हासिल करके सपा के नए दिग्गज बनकर उभरे थे. बसपा को यहां ज्यादा सफलता नहीं मिली है. इस सीट पर सपा का होल्ड भी है, क्योंकि वह 2012 और 2022 में यहां से चुनाव जीत चुकी है. सुरक्षित होने के कारण बसपा के कुछ वोटर जरूर हो सकते हैं पर उसकी यह सीट कभी रही नहीं है. अब इस सीट पर सपा और भाजपा का मुकाबला सीधा होगा.
हार का बदला लेने की तैयारी में बीजेपी
समाजवादी पार्टी से फैजाबाद सीट पर करारी हार झेलने के बाद भाजपा बदला लेने की तैयारी में है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर में प्रचार की कमान खुद संभाल ली है. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के कुछ महीनों बाद लोकसभा चुनावों में फैजाबाद की हार के दर्द के अलावा एक और कारण है कि भाजपा मिल्कीपुर में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. इससे पहले नवंबर 2024 में नौ सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिनमें से भाजपा और उसकी सहयोगी रालोद ने सात पर जीत हासिल की थी, जबकि सपा दो पर जीत हासिल करने में सफल रही थी।
मिल्कीपुर का जातीय समीकरण
राजनीतिक दलों के आंकड़ों के अनुसार अगर मिल्कीपुर का जातीय समीकरण देखा जाए तो यहां सवा लाख दलित हैं. इनमें से पासी बिरादरी 55 हजार हैं. इसके अलावा 30 हजार मुस्लिम और 55 हजार यादव मतदाता हैं. ब्राह्मणों की संख्या 60 हजार, क्षत्रियों की 25 हजार और वैश्य समुदाय के 20 हजार हैं.
ज्ञात हो कि 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट से सपा के अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी. वर्ष 2024 में पार्टी ने उन्हें अयोध्या संसदीय सीट से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया. इसमें भी अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की. इसके बाद मिल्कीपुर सीट से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया. इससे यह सीट खाली हो गई थी. अब इस पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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