
भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व ही एक पुरुष प्रधान समाज है, जो युगों से चला आ रहा है, लेकिन आपको इस बात को जानकर हैरानी होगी की न केवल हमारे देश में बल्कि विश्व में कुछ ऐसे भी समाज है जो पुरुष प्रधान न होकर नारी प्रधान है जो कि एक अद्भुत समाज की संरचना की सोच को बढ़ावा देती है.
हालांकि, इन समाजों को पूर्ण रुप से नारी प्रधान कहना अतिश्योक्ति होगी. लेकिन इन समाजों में मातृसत्तात्मक (matriarchal) विरासत प्रणाली होने के कारण संपत्ति और परिसंपत्तियां मां से बेटी को दी जाती है. इससे हमे ये जानने को मिलता है कि ऐसे समाज की उत्पत्ति प्राचीन काल में हुई होगी जहां पर नारी प्रधानता रही है.
आइए आपको बताते है उन जनजातियों के बारे में जिसनें इस परम्परा को आज भी संजोए हुए है.
मेघालय की खासी जनजाती
ये जनजाती प्रमुख रुप से मेघालय के खासी और जयंतिया हिल्स में पाई जाती है. ये जनजाती के मातृवंशीयता परम्परा के अनुसार पुरुषों को शादी के बाद उनकी पत्नियों के साथ उनके घर जाना पड़ता है और निर्णय लेने का अधिकार औरतों के पास होता है. बच्चों को उनकी मां का उपनाम और मां के उपरांत जो भी संपत्ति होती है वो बेटियों को दे दी जाती है.
केरला की नायर जनजाती
केरला जो अपने उच्च साक्षरता दर और लैंगिक समानता के लिए जाने जाता है. यहां पर रहने वाले नायर समूह जो की ऐतिहासिक रुप से योध्दा समुदाय है, मातृवंशीयता परम्परा को मानते है. इस समूह में परिवार का नेतृत्व परिवार के बड़ी महिला करती है. हालांकी इस समूह में पुरुष और महिला अलग-अलग घरों में रहते है. खासी जनजाती की तरह ही इस समूह में भी परम्परागत तौर पर बच्चों को उनकी मां का उपनाम.
निष्कर्ष
जहां आज तक समाज पुरुष प्रधान रहा है और महिलाओं को लैंगिक समानता के लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ा है ऐसे में कुछ जनजातियां इसका अपवाद बनी हुई है जहां पर परम्पराए पूरे समाज से उलट है.
-भारत एक्सप्रेस
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