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उत्तर प्रदेश का अनोखा गांव, जहां मृत बच्चों की शादी कराई जाती है

हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बेटे-बेटी की शादी धूमधाम से हो. ऐसा करने के लिए वे ​कोई कसर नहीं छोड़ते. विवाह के दौरान तमाम रस्में निभाई जाती हैं, उनमें से कुछ हैरान करने वाली भी होती हैं.

नटबाजी समाज

भारत में तमाम तरह के समुदाय हैं और उनकी अपनी परंपराएं और रीति-रिवाज हैं. विभिन्न समुदायों में शादी करने की परंपराएं भी अलग-अलग हैं. हम ऐसी ही एक परंपरा से आपका परिचय कराने जा रहे हैं,​ जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे.

हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बेटे-बेटी की शादी धूमधाम से हो. ऐसा करने के लिए वे ​कोई कसर नहीं छोड़ते. विवाह के दौरान तमाम रस्में निभाई जाती हैं, उनमें से कुछ हैरान करने वाली भी होती हैं. ऐसा ही एक आश्चर्यजनक रिवाज उत्तर प्रदेश सहारनपुर जिले में प्रचलित है.


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मृतकों की कराई जाती है शादी

सहारनपुर जिले के मीरपुर गांव के नटों में यह रिवाज प्रचलित है, जिसके तहत मरे हुए बच्चों की शादी कराई जाती है. गांव में बेटियों की शादी ऐसे लड़कों से कराने का रिवाज है, जिनकी मौत कई साल पहले हो गई होती है. यहां अपनी बेटी के शादी के लिए माता-पिता मृत दूल्हा ढूंढ़ते हैं. नट समाज में सिर्फ जिंदा ही नहीं, बल्कि मर चुके बच्चों की शादी भी बेहद धूमधाम से करने की अनोखी परंपरा है. यहां मंडप में दूल्हा-दुल्हन की जगह गुड्डा-गुड़िया रखकर उनका विवाह कराया जाता है. बाल विवाह का विरोधी यह गांव बच्चों के मरने के बाद उनके बालिग होने पर ही उनका विवाह करता है.


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सालों से चली आ रही है परंपरा

नट समाज में यह परपंरा सदियों से चली आ रही है. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि इससे उनकी मरी हुई संतान भी अविवाहित नहीं रहती है. इस दौरान बैंड-बाजे के साथ मृत बच्चे का परिवार बारात लेकर कन्या पक्ष के दरवाजे पर आता है और शादी की सभी रस्में भी पूरे रीति-रिवाज के साथ संपन्न कराई जाती हैं. कन्या पक्ष अपने सामर्थ्य के अनुसार वर पक्ष को दान-दहेज भी देता है.

-भारत एक्सप्रेस



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