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आडवाणी से लेकर सिंघल तक…राम मंदिर आंदोलन के 10 गुमनाम चेहरे

जिस राम मंदिर का वादा अतीत के आरएसएस-भाजपा-वीएचपी नेताओं ने किया था, अब उसी राम मंदिर में रामलला विराजमान होने के लिए तैयार हैं.

रथ यात्रा के दौरान की तस्वीर

रथ यात्रा के दौरान की तस्वीर

Ayodhya Ram Mandir: नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था. मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो ही गया है. अब साल 2024 में 22 जनवरी को रामलला राम मंदिर में विराजेंगे. इसके लिए तैयारियां कर ली गई हैं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पीएम मोदी मुख्य यजमान होंगे. देश-विदेश के प्रमुख व्यक्तियों को निमंत्रण भेजा गया है. देशभर के लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार, कुछ न कुछ रामलला के लिए अयोध्या भेज रहे हैं. इन दिनों अयोध्या के साथ-साथ पूरे देश में हर्षोल्लास का माहौल है. लेकिन राम मंदिर का मुद्दा इतना आसान भी नहीं था. यह एक ऐसा मुद्दा है जो 1980 के दशक के दौरान आरएसएस-भाजपा के एजेंडे में शीर्ष पर था. कई दशक के बाद अयोध्या राम मंदिर का सपना साकार होने जा रहा है. अब अयोध्या गुलजार होने जा रहा है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), विश्व हिंदू परिषद (VHP) भारतीय जनता पार्टी (BJP) बजरंग दल और संबंधित संगठनों ने राम जन्मभूमि आंदोलन को एक शक्तिशाली सामाजिक-राजनीतिक अभियान बनाने के लिए अपनी संगठनात्मक ताकत लगा दी. इस आंदोलन के कई ऐसे हीरो रहे, जिसे समय के साथ या तो भुला दिया गया या वो खुद ही गुमनाम हो गए. आइये आज इन्हीं हीरो के बारे में जानते हैं. जिस राम मंदिर का वादा अतीत के आरएसएस-भाजपा-वीएचपी नेताओं ने किया था, अब उसी राम मंदिर में रामलला विराजमान होने के लिए तैयार हैं. मूर्ति का चयन भी कर लिया गया है.

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राम मंदिर आंदोलन के 10 बड़े नाम

लालकृष्ण आडवाणी

अयोध्या राम जन्मभूमि अभियान ने बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी को हिंदुत्व का असली ‘पोस्टर-बॉय’ बना दिया. उन्होंने 1990 में गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल तक एक राष्ट्रव्यापी रोड शो शुरू किया था. आडवाणी ने रथ यात्रा के बूते अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए जन समर्थन जुटाया. लेकिन उनके अयोध्या पहुंचने से पहले ही बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने राज्य के समस्तीपुर जिले में उनकी गिरफ्तारी का आदेश दे दिया. इस घटना के दो साल बाद अयोध्या में आडवाणी और वीएचपी नेताओं की भाड़ी भीड़ जुटी थी. इस दौरान कारसेवकों ने विवादित मुगल काल की बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था.

प्रमोद महाजन

प्रमोद महाजन भाजपा के लिए एक चतुर योजनाकार थे. उन्हें वाजपेयी-आडवाणी की भाजपा में एक उत्कृष्ट राजनीतिक रणनीतिकार माना जाता था. उनके सुझाव पर ही आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक पदयात्रा करने का अपने विचार को बदला था.

1990 में भाजपा महासचिव प्रमोद महाजन ने आडवाणी को रथयात्रा करने की सलाह दी. उन्होंने भाजपा विचारक दीन दयाल उपाध्याय और महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर को यात्रा शुरू करने का भी सुझाव दिया. आडवाणी ने अपनी 10,000 किलोमीटर लंबी यात्रा के लिए 25 सितंबर का दिन चुना. यह महाजन ही थे जिन्होंने उस समय भाजपा के उभरते हुए संगठनात्मक नेता नरेंद्र मोदी की मदद से रथयात्रा की योजना बनाई और उसे क्रियान्वित किया था.

अशोक सिंघल

विहिप नेता ओशोक सिंघल पर राम जन्मभूमि अभियान के लिए न समर्थन जुटाने में संसाधन की जिम्मेदारी दी गई थी. कहा जाता है कि उन्होंने अपना धन-बल सब लगा दिया था. कहा ये भी जाता है कि वो राम मंदिर आंदोलन के मुख्य वास्तुकार थे. 2011 में उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए वीएचपी प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था.नवंबर 2015 में उनका निधन हो गया.

मुरली मनोहर जोशी

मुरली मनोहर जोशी 1980 और 1990 के दशक के दौरान भाजपा के “प्रोफेसर” थे. 1992 में जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई तब मुरली मनोहर जोशी आडवाणी के साथ थे. बाबरी मस्जिद के गिरने के बाद उमा भारती को गले लगाते हुए जोशी की एक तस्वीर ने उस समय देश का ध्यान खींचा था.

उमा भारती

भाजपा नेत्री और नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहीं उमा भारती राम मंदिर आंदोलन की सबसे प्रभावशाली महिला नेत्री थीं. लिब्रहान आयोग ने उन्हें बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी भूमिका के लिए भीड़ को उकसाने के लिए दोषी ठहराया था. उमा भारती ने हमेशा से कहा है कि भगवान राम किसी एक पार्टी की संपत्ति नहीं हैं, राम सभी के हैं.

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साध्‍वी ऋतंभरा

राम मंदिर आंदोलन के दौरान साध्वी ऋतंभरा एक फायरब्रांड हिंदुत्व नेता थीं. वह अयोध्या राम जन्मभूमि अभियान के पहचाने जाने योग्य महिला चेहरे के रूप में उमा भारती के बाद ही थीं. उनके भाषणों के ऑडियो कैसेट खूब बिके.

कल्याण सिंह

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में कल्याण सिंह अयोध्या अभियान के क्षेत्रीय हीरो थे. 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई तब वह सीएम की कुर्सी पर थे. उन्होंने विवादित ढांचे की ओर बढ़ रहे कारसेवकों के खिलाफ बल प्रयोग नहीं करने का आदेश दिया था. बाद में, उन्हें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन नहीं मिला और यहां तक कि उन्होंने अपना अलग संगठन बनाने के लिए विद्रोह भी कर दिया. लेकिन वह भाजपा में लौट आए और उन्हें राज्यपाल पद से पुरस्कृत किया गया. उस समय उन्होंने उक्त घटना की जिम्मेदारी लेते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.

विनय कटियार

विनय कटियार बजरंग दल के तेजतर्रार नेता थे. राम मंदिर अभियान को बढ़ावा देने के लिए 1984 में बजरंग दल अस्तित्व में आया था. कटियार इसके पहले अध्यक्ष थे.  1992 के बाद उनका राजनीतिक कद बढ़ता गया. वे भाजपा के महासचिव बने. उन्होंने राज्यसभा और लोकसभा दोनों में सदस्य के रूप में कार्य किया.

प्रवीण तोगड़िया

प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर अभियान के एक और “विस्फोटक” नेता थे. उन्होंने आक्रामक भाषणों के दम पर अपनी हिंदुत्ववादी छवि बनाई. अशोक सिंघल के बाद उन्होंने वीएचपी की कमान संभाली. लेकिन भाजपा में आडवाणी का प्रभाव कम होने के साथ ही तोगड़िया ने खुद को संघ परिवार में किनारे पर पाया.

विष्णु हरि डालमिया

विष्णु हरि डालमिया हिंदुत्व राजनीति में गहरी रुचि रखने वाले उद्योगपति थे. उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने विहिप में विभिन्न पदों पर कार्य किया. वह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सह-अभियुक्तों में से एक थे. जनवरी 2019 में 91 वर्ष की आयु में उनके दिल्ली स्थित घर पर उनका निधन हो गया.

 

-भारत एक्सप्रेस

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