विश्लेषण

NCLT के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ CBI ने शुरू की जांच

अपने पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ शुरू CBI जांच के बाद NCLT की कार्यशैली संदेह के घेरे में आ गई है. मामला करीब सौ करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के आरोपी को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने से जुड़ा है. इस मामले में CBI ने NCLT के दो अन्य सदस्यों को भी आरोपी बनाया है. हैरानी की बात है कि इनमे से एक आरोपी अभी भी NCLT की अहमदाबाद शाखा में मामलों की सुनवाई कर रही हैं.

यह है पूरा मामला

दरअसल मोंटिरॉक्स रिसोर्ट नामक कंपनी ने अपने 300 करोड़ रुपए के होटल और रियल स्टेट प्रोजेक्ट में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था. आरोप था कि कंपनी के साझीदार विक्रम बक्शी ने फर्जी तरीके से करीब सौ करोड़ रुपए की संपत्ति अपने सहयोगी राजीव पुरी के नाम कर दी थी. विक्रम बक्शी McDONALD का भारतीय साझीदार भी रह चुका है. इस मामले की सुनवाई NCLT में चल रही थी. कई साल से लगातार लंबित एक आवेदन को लेकर कंपनी ने NCLT में गुहार लगाई थी. जिसके तहत NCLAT ने 16 मार्च 2020 को NCLT को आदेश दिया कि यह आवेदन दो सप्ताह के भीतर निपटा दिया जाए.

लगे गड़बड़ी के आरोप

CBI द्वारा शुरू की गई प्राथमिक जांच के अनुसार NCLT में इस मामले की सुनवाई न्यायिक सदस्य दीप्ती मुकेश और तकनीकी सदस्य हेमंत सारंगी की बेंच कर रही थी. मगर मई 2020 में यह बेंच ख़त्म हो गई और हेमंत सारंगी की नियुक्ति प्रिंसिपल बैंच में अध्यक्ष के साथ हो गई. जबकि दीप्ती मुकेश के साथ सुमिता पुरकायस्था की नई बेंच बन गई. लिहाजा अब मामले की सुनवाई इसी बेंच में होनी थी। मगर 09 सितंबर को हैरतअंगेज तरीके से कंपनी का मामला दीप्ती मुकेश और हेमंत सारंगी की बेंच के सामने ही लगा दिया गया. जबकि यह बेंच खत्म हो चुकी थी.

जब भंग हुई बेंच ने की सुनवाई

दरअसल दीप्ती मुकेश और हेमंत सारंगी की बेंच ने भी NCLT के दो सप्ताह में मामला निपटाने के आदेश को नजअंदाज कर तीन सप्ताह बाद की तारीख लगा दी. तीन सप्ताह बाद मामले की सुनवाई हुई तो विक्रम बक्शी ने सेक्शन 08 के तहत आवेदन कर मध्यस्तता के लिए भेजने की मांग कर दी. इस मामले में करीब दर्जन भर से ज्यादा तारीख लगी, लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया. इस बीच मोंटिरॉक्स रिसोर्ट के मालिकों को कुछ शक हुआ तो उन्होंने NCLT के पुराने कार्यालय आदेशों की छानबीन शुरू कर दी. तब फरवारो 2021 में उन्हें पता लगा कि उनका मामला सुन रही दीप्ती मुकेश और हेमंत सारंगी की बैंच तो मई 2020 में ख़त्म हो चुकी है. यही वजह रही कि 04 मार्च 2021 को मोंटिरॉक्स रिसोर्ट ने बेंच से कहा कि वह यह मामला नहीं सुन सकते. लिहाजा NCLT में हुए इस उल्लंघन के मामले को प्रिंसिपल बैंच के समक्ष भेजा जाए.

प्रिंसिपल बेंच पर भी लगा आरोप

मामला सुनवाई के लिए बीएसवी प्रकाश कुमार की अध्यक्षता वाली प्रिंसिपल बैंच के समक्ष पहुंचा तो उन्होंने तीन बार तारीख लगाई और चौथी तारीख के बाद यह लिखकर फैसला सुरक्षित रख लिया कि मामला सुन लिया गया है. जबकि 01 अप्रैल 2021 की इस तारीख पर ना तो किसी का ब्यान सुना गया था और ना ही रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था. इतना ही नहीं इस मामले में ना तो कोई नोटिस जारी हुआ और ना ही किसी का जवाब रिकॉर्ड पर लिया गया. प्रकाश कुमार ने 28 मई 2021 को मामला 31 मई को दोपहर बाद तीन बजे फैसला सुनाने के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

आरोपी बेंच का कारनामा

प्रिंसिपल बेंच ने 28 मई को मामला लिस्ट किया तो साफ़ हो गया कि 31 मई को दोपहर तीन बजे आदेश में स्पष्ट कि दीप्ती मुकेश और हेमंत सारंगी की बेंच इस मामले की सुनवाई कर सकती है या नहीं. लेकिन यह जानते हुए भी 30 मई यानि रविवार की रात 11:30 बजे आरोपी बैंच ने भी सेक्शन 08 के आवदेन की सुनवाई 31 मई की दोपहर बाद तीन बजे ही करने का फरमान जारी कर दिया.

न्यायिक व्यवस्था का बनाया मजाक

हैरानी की बात कि दीप्ती मुकेश और हेमंत सारंगी की जिस बेंच के अस्तिव को लेकर फैसला आना बाकी था, उसने प्रिंसिपल ब्रांच के आदेश से पहले ही विक्रम बक्शी के सेक्शन 08 के आवेदन को मंजूरी दे दी. जबकि आवेदन में यह स्पष्ट ही नहीं किया गया था कि कौन-कौन से पक्षों को मध्यस्थता के लिए ले जाने के लिए आवदेन किया गया था. क्योंकि इस मामले में याचिकाकर्ताओं की संख्या छह थी और प्रतिवादियों की 42. विवादित बैंच का फैसला आने के बाद बीएसवी प्रकाश कुमार ने भी 03:35 बजे तथ्यों को नजअंदाज कर दीप्ती मुकेश और हेमंत सारंगी की भंग हो चुकी बेंच के हक़ में ही फैसला सुना दिया.

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कैसे हुआ खुलासा

दरअसल मामले को मध्यस्थता के लिए ले जाने की कोशिश कर रहे विक्रम बक्शी ने आवेदन में उन पक्षों का हवाला नहीं दिया था जिन्हे वह मध्यस्थता के लिए ले जाना चाहता था. इसके लिए उसके वकील ने 31 मई को ही दोपहर बाद 02:38 बजे मीमोज ऑफ़ पार्टीज की 10 पेज की लिस्ट ईमेल से भेजी थी. जिसमे 34 गलतियां थी. रजिस्ट्री द्वारा इस लिस्ट को मंजूरी देने और अपलोड करने में कम से कम 15 मिनट लगते हैं. जिसके बाद आदेश टाइप करने का कार्य किसी भी हाल में आधा घंटे से पहले संभव नहीं है. बावजूद इसके दीप्ती मुकेश और हेमंत सारंगी की बेंच ने तीन बजे आदेश जारी कर दिया. ख़ास बात यह थी कि इस आदेश में भी वही 34 गलतियां मौजूद थी जो आरोपी विक्रम बक्शी के वकील द्वारा भेजी गई मीमोज ऑफ़ पार्टीज की लिस्ट में मौजूद थी.

सीबीआई ने शुरू की जांच

मोंटिरॉक्स रिसोर्ट के वकील हरीश खोसला ने इन्ही 34 गलतियों को अपनी शिकायत का मुख्य आधार बनाया और बीएसवी प्रकाश कुमार, दीप्ती मुकेश और हेमंत सारंगी के खिलाफ 19 जून 2021 को CBI में शिकायत कर दी. कंपनी कार्य मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. हैरानी की बात है कि मामले में आरोपी होने के बावजूद दीप्ती मुकेश अभी भी NCLT की अहमदाबाद बेंच में मामलों की सुनवाई कर रही हैं.

– भारत एक्सप्रेस

सुबोध जैन

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