विश्लेषण

‘मुझे खुश कर दो, तुम टॉप कर सकती हो..’, यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर ऐसे करता था छात्रा को तंग, अपने बच्चों को रखें सतर्क

मुझे खुश कर दो विभाग में तुम टॉप कर सकती हो..”, ये कहना था गोरखपुर विश्वविद्यालय में एक प्रोफ़ेसर का, जिसके खिलाफ एक छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई है। पीड़ित छात्रा ने बताया कि उसे 21 दिसंबर को कई बार कॉल आई। उसके पास 29 मिनट की रिकॉर्डिंग भी है। उसे धमकी दी गई कि इनकार किया तो कभी पास नहीं हो पाओगी।

छात्रा के लिए यह बहुत ही भयानक और हृदय विदारक है। अब जल्द से जल्द इस मामले में एक कमेटी बनाकर जाँच होनी चाहिए और दोषी के हर संपर्क की भी जांच होनी चाहिए। अगर प्रोफ़ेसर जांच में गलती करते हुए पाए जाते हैं तो उन्हें पहले हर तरह की सेवा से हटा दिया जाए, और बर्ख़ास्त कर दिया जाए। यह भी पता लगाना चाहिए कि प्रोफ़ेसर ने हाल-फ़िलहाल में किन-किन धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लिया? और यह जानने के लिए कि धार्मिक आचरण से मनुष्य का व्यवहार नैतिक होता है या नहीं, उससे उचित पूछताछ होनी चाहिए। अगर हमारे गुरुवर ही ऐसा करेंगे तो फिर दूसरों को कोई क्या और कैसे समझा सकता है।

जांच इसकी भी होनी चाहिए कि प्रोफ़ेसर के संपर्क में कितने लोग हैं, वह किस किस तरह के लोगों से संपर्क में थे? क्या कोई गिरोह से वो जुड़े हैं, या वो ऐसा अकेले कर रहे थे? जांच का एक विषय यह भी है कि प्रोफ़ेसर के चंगुल में कितने लोग फंसे होंगे, अब तक कितनी लड़कियां उसकी शिकार हो चुकी होंगी, यह एक गंभीर विषय है, इसको गंभीरता से लेना चाहिए।

सिर्फ पुलिस प्रशासन ही नहीं, बच्चे बच्चियों को भी समझाएं और बताएं, माँ-बाप भी समझें, और प्रिंसिपल के कांटेक्ट में लगातार रहें, बच्चों को Bad Touch और Good Touch के बारे में पहले खुद भी समझाएं और फिर बच्चों को भी एकदम सही तरीके से और आसान यानी अपने बोलचाल की भाषा में भी समझाएं, ताकि बच्चे अच्छी तरह से समझ पाएं. वो आपस में भी एक-दूसरे से बातें शेयर करेंगे और उसके बाद अगर कोई भी टीचर उनके साथ अगर कुछ भी गलत बर्ताव करता है तो वो या तो वहीं रोक देंगे या फिर अपने घर जाकर अपने माता-पिता को बता पाएंगे.

  • किसी के छूने से आपका असहज महसूस होना या किसी भी तरह से दिक्कत होने को ही Bad Touch कहा जाता है। समाज में कहीं कुछ लोग अश्‍लील हरकतें करते हैं, तो उनके खिलाफ शिकायत की जानी चाहिए।

ये सिर्फ छोटे बच्चे या बच्चियीं के लिए ही नहीं, बल्कि बड़ी लड़कियों और महिलाओं के लिए भी है. मेरा मानना है कि Bad-Touch और good-touch के प्रति जागरुकता बढ़े तो हमारे बच्‍चों का भविष्‍य उज्‍जवल होने में कोई रुकावट नहीं रह जाएगी। इसलिए खुद भी आप लोग जब कहीं पार्टी में गए हों या कहीं भीड़ में हों, रेलवे स्टेशन पर हों या बस अड्डों पर..तो छेड़छाड़ करने वालों से सावधान, सतर्क रह सकेंगे।

– भारत एक्सप्रेस

Pratyush Priyadarshi

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