विश्लेषण

भारत बन सकता है विज्ञान की महाशक्ति

भारत में आम चुनाव के लिए मतदान आज से होने लगा है। 19 अप्रैल से शुरू होकर 1 जून तक चलने वाली इस मैराथन चुनावी प्रक्रिया में लगभग एक अरब मतदाता मतदान में जाने के पात्र हैं।

कई जनमत सर्वेक्षण के आधार पर यह बात कही जा रही है कि मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले दलों का गठबंधन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों के गठबंधन के खिलाफ लगातार तीसरी बार जीत हासिल करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजेता के रूप में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का कार्यभार संभालेंगे। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक, इस दशक के अंत तक भारत चीन और अमेरिका के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

आर्थिक शक्ति होने के साथ-साथ भारत ‘साइंस का पावरहाउस’ बनने की दिशा में अगला कदम उठाने के लिए भी तैयार है। यह अभी तक तय नहीं है, लेकिन ऐसा हो सकता है। कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि यहां पर बुनियादी अनुसंधान को क्रमिक सरकारों द्वारा उपेक्षित किया गया है, और एक संपन्न अनुसंधान प्रणाली को बहुत अधिक स्वायत्तता (Autonomy) की आवश्यकता है।

सवाल उठता है कि साइंस के लिए देश में फंडिंग के अंतर को कैसे पाटें, तो भारत सरकार एक काम यह कर सकती है कि व्यवसायों को अधिक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करके विज्ञान पर खर्च किए जाने वाली रकम को और बढ़ावा दिया जाए, जैसा कि अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं (अमेरिका, चीन, जापान आदि) के मामले में है। यदि पॉलिसी मेकर्स और इंडस्ट्रियलिस्ट्स को यह अधिकार मिल सके, तो देश की प्रभावशाली वैज्ञानिक उपलब्धियों के तहत रॉकेट बूस्टर लगाने का अवसर मौजूद है।

वास्तव में, विज्ञान की दुनिया की महाशक्ति बनने के लिए भारत में बहुत कुछ है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग था और सस्ती दवाओं और जेनेरिक दवाओं का प्रमुख सप्लायर था, जिनमें से कुछ दुनियाभर में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण थे। पिछले साल, भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बन गया। इसके पास दुनिया का सबसे बड़ा रिमोट-सेंसिंग सेटेलाइट भी है।

अमेरिका और चीन के बाद अनुसंधान उत्पादन के मामले में भारत दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में से एक है। 2014 से 2021 तक यहां विश्वविद्यालयों की संख्या 760 से बढ़कर 1,113 हो गई। पिछले दशक में देश में 7 और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान एवं शिक्षा—अनुसंधान केंद्रों का नेटवर्क स्थापित किया गया है, जिससे उनकी कुल संख्या 23 हो गई है। इसी अवधि में, दो नए भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान भी स्थापित किए गए हैं।

अब विचार करें कि ये लाभ उस देश द्वारा हासिल किए गए जिसने 2020-21 के दौरान अनुसंधान और विकास (R&D) पर अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 0.64% खर्च किया, यह डेटा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा प्रकाशित किया गया। ऐसे में देश के आम चुनाव में जो भी राजनीतिक गठबंधन सत्ता में चुना जाए, उसे इस बात पर विचार करना चाहिए कि देश के अनुसंधान एवं विकास खर्च को कैसे बढ़ाया जाए, साथ ही इसके लिए अधिक धन से कैसे हासिल किया जा सकता है।

पिछले महीने प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2022 में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) में 38 उच्च आय वाले देशों का औसत R&D व्यय लगभग 2.7% था। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में चीन ने R&D पर 2.4% खर्च किया।

डीएसटी डेटा के अनुसार, पूर्ण रूप से क्रय शक्ति समानता (PPP) के लिए समायोजित भारत का विज्ञान पर खर्च, 2014-15 में 50.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर से बढ़कर 2020-21 में 57.9 बिलियन डॉलर हो गया। PPP विभिन्न देशों में किसी मुद्रा की क्रय शक्ति का माप है। अंतर्राष्ट्रीय तुलनाओं के प्रयोजनों सहित, जो अधिक मायने रखता है, वह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के एक अंश के रूप में अनुसंधान एवं विकास की हिस्सेदारी है। डीएसटी डेटा के अनुसार, 1991 में आर्थिक सुधार लागू होने के बाद, R&D खर्च में भारत की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी, जो इसके वर्तमान स्तर तक गिरने से पहले 2009-10 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 0.82% पर पहुंच गई थी।

खर्च कहां-कैसे?

जब भारत के विज्ञान पर खर्च की तुलना उसके समान आकार की अर्थव्यवस्थाओं से की जाती है तो एक बात और सामने आती है। भारत के अनुसंधान व्यय का लगभग 60% केंद्र और राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों से और लगभग 40% निजी क्षेत्र से लिया जा सकता है। वहीं अन्य देशों में, निजी क्षेत्र का निवेश अक्सर बहुत अधिक होता है। 2022 में, निजी क्षेत्र ने OECD देशों के अनुसंधान एवं विकास खर्च में औसतन 74% और यूरोपीय संघ के 27 सदस्यों के लिए इस तरह के वित्तपोषण का 66% योगदान दिया। भारत में आज निर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स और अन्य क्षेत्रों में कई वैश्विक कंपनियां हैं। वे देश के अनुसंधान में- शोधकर्ताओं के वित्तपोषण और बुनियादी ढांचे दोनों के मामले में बहुत अधिक योगदान दे सकते हैं।

— भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

वेब जर्नलिज्म में रचे-रमे. इनका हिंदी न्यूज वेबसाइट के क्रिएटिव प्रजेंटेशन पर फोकस रहा है. 2014 में राजस्थान पत्रिका-जयपुर से बतौर प्रशिक्षु शुरूआत हुई. उसके बाद 7-8 शहरों से होते हुए वनइंडिया हिंदी, एबीपी न्यूज समेत कई पोर्टल पर कार्य किया. जुलाई 2023 से भारत एक्सप्रेस में सेवाएं दीं. पत्रकारिता में बचपन से दिलचस्पी रही, अत: सन् 2000 तक के अखबारों, साप्ताहिक-मासिक पत्रिकाओं को संग्रहित किया. दो दशक से सनातन धर्म के पुराणों, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में भी अध्ययनरत हैं. धर्म-अध्यात्म, वायरल-ट्रेंडिंग, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति और राजनीति की खबरों में रुचि है.

Recent Posts

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेंद्र राय ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलकर दी बधाई

भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेंद्र राय ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर…

8 hours ago

कुवैत यात्रा के समापन पर PM Modi को कुवैत के प्रधानमंत्री ने दी विशेष विदाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत की अपनी दो दिवसीय ऐतिहासिक यात्रा समाप्त की, जिसे कुवैत…

9 hours ago

भारत के बिना दुनिया वास्तव में आगे नहीं बढ़ सकती: पूर्व जर्मन राजदूत वाल्टर जे. लिंडनर

वाल्टर जे. लिंडनर के अनुसार, भारत ने अपनी 'सॉफ्ट पावर' से एक अधिक आक्रामक विदेश…

9 hours ago

Mahakumbh 2025: CM योगी के निर्देश पर महाकुंभ में स्वच्छता के विशेष इंतजाम, स्पेशल ऑफिसर करेंगे संतों और श्रद्धालुओं की हिफाजत

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार के महाकुंभ को हर बार के कुंभ…

10 hours ago

UP में फिर चली IPS तबादला एक्सप्रेस, कई जिलों के कप्तान इधर से उधर..!

ट्रांसफर आदेश में कहा गया है कि भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को स्थानांतरित किया…

10 hours ago

World’s Most Expensive Cities: दुनिया में रहने के लिए इस साल कौन-से शहर सबसे महंगे? Forbes से जानिए

लीडिंग कंसल्टिंग फर्म मेरसर (Mercer) द्वारा वर्ष 2024 के लिए जारी किए गए कॉस्‍ट ऑफ…

10 hours ago