संविधान दिवस पर कांग्रेस का ‘संविधान रक्षक अभियान’: लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प
कांग्रेस का यह अभियान 26 नवंबर से 26 जनवरी तक चलेगा और इसका उद्देश्य संविधान की मूल भावना की रक्षा करना, सामाजिक समानता को बढ़ावा देना, और आरक्षण जैसे संवैधानिक अधिकारों को संरक्षित करना है.
कैसे रुकें राजमार्गों पर हादसे?
Accidents on Highways: सड़क नियम और क़ानून को सख़्ती से लागू करने की ज़िम्मेदारी केवल ट्रैफ़िक पुलिस की नहीं होनी चाहिए. इनको लागू करने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए.
रोज़गारपरक शिक्षा कैसे हो?
Employment Oriented Education: आय दिन अख़बारों में पढ़ने में आता है जिसमें देश में चपरासी की नौकरी के लिए लाखों ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट, बी.टेक व एमबीए जैसी डिग्री धारकों की दुर्दशा का वर्णन किया जाता है.
Maharashtra Assembly Elections 2024: महाविकास अघाड़ी का DMK समीकरण और प्रमुख मुद्दे
Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एमवीए ने डीएमके समीकरण और संविधान तथा आरक्षण जैसे मुद्दों को अपने प्रचार की धुरी बनाया है. दलित, मुस्लिम और आदिवासी समुदायों में अपनी पकड़ को मजबूत बनाकर, एमवीए बहुमत हासिल करने की कोशिश में है.
वायु प्रदूषण: सही कारण का हल ही करेगा नियंत्रण
Air Pollution: हर वर्ष नवम्बर के महीने में दिल्ली सरकार अपने आदेश के तहत बिना वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र के चलने वाले वाहनों पर 10,000 का मोटा जुर्माना लगाने के आदेश जारी कर देती है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: कांग्रेस के सामने महा विकास अघाड़ी में बड़े भाई की भूमिका बनाए रखने की चुनौती
2004 में एनसीपी की ज्यादा सीटें होने के बावजूद कांग्रेस के विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बने थे. इसलिए भले ही एनसीपी ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी नहीं की है, पर शरद पवार सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे कर सकते हैं
वायनाड उपचुनाव: कांग्रेस की प्राथमिकता और प्रभाव
वायनाड उपचुनाव कांग्रेस के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके चलते महाराष्ट्र, झारखंड, और उत्तर प्रदेश के चुनावों में कांग्रेस की प्राथमिकताओं पर संतुलन की कमी दिखाई दे रही है.
कैसे बने देश अपराध मुक्त ?
How Country Become Crime Free: सच्चाई तो ये है कि जितने अपराध होते हैं, उसके नगण्य मामले पुलिस के रजिस्टरों में दर्ज होते हैं। ज्यादातर अपराध प्रकाश में ही नहीं आने दिये जाते. फिर गुड गवर्नेंस कैसे सुनिश्चित होगी?
चुनाव आयोग के फ़ैसले निष्पक्ष दिखाई दें!
2024 के लोकसभा चुनावों के बाद होने वाले कई विधान सभा के चुनावों में केंद्रीय चुनाव आयोग की भूमिका पर कई सवाल उठे हैं. परंतु चुनाव आयोग अपने फ़ैसलों को बदलना तो दूर, अपनी प्रतिक्रिया भी नहीं दी.
त्योहारों की तिथियों में विवाद क्यों?
Festivals Controversy: बीते कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि जब भी कोई त्योहार आता है तो उसकी स्थिति को लेकर काफ़ी विवाद पैदा हो जाते हैं। इन विवादों को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया की भूमिका को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता