सुबोध जैन
भारत एक्सप्रेस
फ़राज़ से डेब्यू किया दिल्ली के छोरे जतिन सरीन ने!
दिल्ली के रहने वाले जतिन ने स्कूल खत्म करने के बाद इंजीनियर बनने की पढ़ाई शुरू की. लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था.
अपने नेता की घरेलू कलह से फजीहत में फंसी भाजपा, दिखाना पड़ा बाहर का रास्ता
वासु रुक्खड़ का कहना है कि बच्ची के जन्म और ताने मारने जैसे आरोप बेबुनियाद हैं. यदि ऐसा होता तो वह सूचना मिलने पर बच्ची की तलाश के लिए पुलिस पर दबाव नहीं बनाते.
क्या दिल्ली पुलिस में निशाने पर हैं महिला पुलिस अधिकारी!
पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभालने बाद संजय अरोड़ा ने चार महिला पुलिस अधिकारियों को जिला और अहम जगह के पुलिस उपायुक्त पद से हटा दिया है. जबकि एक ऐसे अधिकारी को जिले में तैनात कर दिया है, जिसे खुद एक गंभीर मामले में हिरासत में लेने की तैयारी शुरू हो गई थी.
NCLT के पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ CBI ने शुरू की जांच
विक्रम बक्शी McDONALD का भारतीय साझीदार भी रह चुका है. इस मामले की सुनवाई NCLT में चल रही थी. कई साल से लगातार लंबित एक आवेदन को लेकर कंपनी ने NCLAT में गुहार लगाई थी.
डेविस कप का पैसा नहीं लौटाने वाली AITA पर मेहरबानी
जिमखाना की वार्षिक रिपोर्ट में सदस्यों को यह भी बताया गया कि इस मामले में कंपनी कार्य मंत्रालय से बातचीत की जा रही है.
जिमखाना के सरकारी निदेशक खेल रहे हैं नूरा-कुश्ती
कंपनी अधिनियम की बात करें तो धारा 8 के उप नियम तीन से पांच में साफ़ तौर पर लिखा है कि क्लब के किसी भी सदस्य को वेतन या मानदेय का भुगतान नहीं किया जा सकता.
सरकारी नुमाइंदों ने जिमखाना में फिर कराई फजीहत!
कोरोना काल से ही सरकारी प्रबंधन पर आरोप लग रहा था कि कानूनी लड़ाई के नाम पर क्लब का एक करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा खर्च कर दिया गया.
ध्वस्त हो रहा है बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब का अंतिम गेटवे जोशीमठ!
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भूविज्ञानी डॉ विक्रम गुप्ता कहते हैं कि जोशीमठ में धसाव की समस्या दशकों पुरानी है. शहर में अव्यवस्थित विकास से लेकर बड़ी परियोजनाएं भी सकती हैं.
शातिर ने कब्जाई महानायक अमिताभ के रिश्तेदार की करोड़ों की कोठी
न्यू फ्रेंड्स कालोनी की जिस कोठी में नंदा रहते थे वह कंपनी की संपत्ति थी. झा ने राधाकृष्ण और अपने साथी सीए माजिद के साथ मिलकर नकली दस्तावेज बनाए और दिखा दिया कि वह मार्च 2021 में ही इस कंपनी का निदेशक बन चुका था.
महापौर नहीं स्थाई समिति पर नजर लगी है भाजपा की!
आज भले ही हर और चर्चा हो रही है कि दिल्ली नगर निगम में महापौर आम आदमी पार्टी का बनेगा या भाजपा का. लेकिन असली लड़ाई महापौर नहीं बल्कि स्थाई समिति पर कब्जे की है. क्योंकि नगर निगम में तमाम वित्तीय फैसले इसी समिति से मंजूर होते हैं. ऐसे में जो यहां जीत हासिल करेगा, वही निगम का असली मालिक बनेगा.