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हर दो घंटे में खुला एक नया जनऔषधि केंद्र, PMBJP योजना से सस्ती दवाओं की पहुंच बढ़ी

मोदी सरकार ने अपनी प्रमुख योजना प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत बीते वर्ष हर दो घंटे में एक नया फार्मेसी स्टोर खोला, जिससे किफायती दवाएं लोगों तक पहुँच सकें।

Medicines Failed In Quality Test

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Prashant Rai Edited by Prashant Rai

मोदी सरकार ने बीते साल अपने प्रमुख योजना “प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना” (PMBJP) के तहत हर दो घंटे में एक फार्मेसी स्टोर खोला, जिससे किफायती दवाएं लोगों तक पहुँचाई जा सकें. यह जानकारी फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (PMBI) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि दाधिच ने News18 को दी.

PMBJP योजना के तहत खोले गए कुल स्टोर्स में से दो-पांचवां (40%) महिलाओं द्वारा संचालित हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को अपने चुनावी अभियानों के दौरान व्यापक रूप से प्रचारित किया था.

रवि दाधिच ने बताया, “देशभर में 15,057 जनऔषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 6,000 केंद्र महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं. यह योजना न केवल दवाओं को सुलभ और सस्ता बना रही है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त भी कर रही है.”

जन औषधि दिवस पर नई घोषणाएँ

जन औषधि दिवस, जो हर साल 7 मार्च को मनाया जाता है, के अवसर पर दाधिच ने कहा, “पिछले वर्ष में हमने 4,500 नए केंद्र खोले हैं, जिसका मतलब है कि हर दो घंटे में एक नया जनऔषधि केंद्र शुरू हुआ. हमारा लक्ष्य 31 मार्च 2027 तक 25,000 केंद्र खोलने का है ताकि सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं हर व्यक्ति तक पहुँच सकें.”

सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाएं

इन केंद्रों पर सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं में टेल्मिसार्टन 40 (हाई ब्लड प्रेशर के लिए), पैंटोप्राजोल डोमपेरीडोन (एसिडिटी के लिए), मेटफॉर्मिन ग्लाइमेपिराइड (डायबिटीज के लिए) और एटोरवास्टेटिन (हृदय रोग के लिए) शामिल हैं.

रांची का स्टोर सबसे आगे, उत्तर प्रदेश टॉप पर

योजना के तहत सबसे अधिक बिक्री करने वाला स्टोर झारखंड के रांची में स्थित है, जहाँ पिछले साल 4 करोड़ रुपये की वार्षिक बिक्री दर्ज की गई. दूसरे स्थान पर जम्मू का स्टोर रहा, जिसकी बिक्री 3.48 करोड़ रुपये रही. इसके बाद देहरादून (3.10 करोड़ रुपये), चंडीगढ़ (2.97 करोड़ रुपये) और पटना (2.80 करोड़ रुपये) का स्थान रहा.

राज्यों की बिक्री रिपोर्ट

गोदाम बिक्री डेटा के अनुसार, उत्तर प्रदेश ने 284 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया. इसके बाद केरल (235 करोड़ रुपये), कर्नाटक (198 करोड़ रुपये), छत्तीसगढ़ (170 करोड़ रुपये) और तमिलनाडु (160 करोड़ रुपये) का स्थान रहा.

योजना की सफलता और भविष्य की संभावनाएँ

यह योजना अपने लक्ष्यों को पार कर चुकी है और इस वित्तीय वर्ष में 2,000 करोड़ रुपये के राजस्व तक पहुँचने की उम्मीद है. वित्तीय वर्ष 2022 में इसका टर्नओवर 890 करोड़ रुपये था. रवि दाधिच ने कहा, “पिछले तीन वर्षों में योजना का राजस्व लगभग दोगुना हो गया है.”

जनऔषधि योजना के प्रचार-प्रसार के लिए हर साल 1 से 7 मार्च तक सप्ताहभर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस वर्ष, 1 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में अभियान की शुरुआत की गई.

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) को नवंबर 2008 में फार्मास्युटिकल्स विभाग, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा केंद्रीय फार्मा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के सहयोग से शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य जनता को किफायती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराना है.



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