अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी
Adani Enterprises FPO: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है. दूसरी तरफ गौतम अडानी के नेटवर्थ पर भी इस रिपोर्ट का असर हुआ, जिसके कारण वे टॉप 10 अरबपतियों की लिस्ट से बाहर हो गए. लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद शेयरों में आई गिरावट के बीच अडानी के लिए अच्छी खबर आई है. अडानी ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ फुल सब्सक्राइब्ड हो गया है.
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ को मंगलवार को बिक्री के आखिरी दिन गैर-खुदरा निवेशकों का समर्थन मिला. आंकड़ों के मुताबिक, 4.55 करोड़ शेयरों की पेशकश के मुकाबले 4.62 करोड़ शेयरों की मांग की गई. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार, गैर-संस्थागत निवेशकों ने उनके लिए आरक्षित 96.16 लाख शेयरों के मुकाबले तीन गुना से अधिक शेयरों के लिए बोलियां लगाईं.
हालांकि, खुदरा निवेशकों और कंपनी के कर्मचारियों की एफपीओ के प्रति उदासीनता देखने को मिली. खुदरा निवेशकों के लिए लगभग आधा निर्गम आरक्षित था, जबकि उन्होंने अपने लिए आरक्षित 2.29 करोड़ शेयरों में से केवल 11 प्रतिशत के लिए बोली लगाई. कर्मचारियों के लिए आरक्षित 1.6 लाख शेयरों में 52 फीसदी के लिए बोलियां आईं.
वहीं पूरी तरह सब्सक्राइब्ड हो जाने के बाद अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ भारत का दूसरा सबसे बड़ा फोलो ऑन ऑफर बन गया है. इसके पहले, 2015 में कोल इंडिया ने 22,558 करोड़ रुपये जुटाए थे. साल 2020 में यस बैंक 15,000 करोड़ रुपये का एफपीओ लेकर आया था.
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दरअसल, अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी किया था जिसके बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई. इस रिपोर्ट के जरिए रिसर्च फर्म ने दावा किया कि अडानी ग्रुप की सात प्रमुख लिस्टेड कंपनियां 85 फीसदी से अधिक ओवरवैल्यूज हैं. अपनी रिपोर्ट में रिसर्च फर्म ने अडानी ग्रुप से 88 सवाल किए हैं. वहीं अडानी ग्रुप ने इन रिपोर्ट्स को खारिज किया है.
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को दुर्भावनापूर्ण करार दिया. कंपनी की तरफ से एक बयान में कहा गया कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने (अडानी) ग्रुप से संपर्क करने या तथ्यात्मक मैट्रिक्स को सत्यापित करने का प्रयास किए बिना रिपोर्ट प्रकाशित की है, जो चुनिंदा गलत सूचनाओं, बासी, निराधार और बदनाम आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है.
-भारत एक्सप्रेस
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