सुप्रीम कोर्ट और गूगल
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गूगल को झटका देते हुए राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. याचिका में तकनीकी दिग्गज पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला ने एनसीएलएटी के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए इसे 31 मार्च तक गूगल की अपील का निपटान करने का निर्देश दिया.
गूगल ने किया शीर्ष अदालत का रुख
पीठ ने कहा कि मेरिट के आधार पर इस अदालत की कोई भी राय एनसीएलएटी (NCLAT) के समक्ष मामले को प्रभावित करेगी. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सीसीआई के आदेश के अनुपालन की अवधि और एक सप्ताह के लिए बढ़ाई जाती है. सुप्रीम कोर्ट 11 जनवरी को एनसीएलएटी के एक फैसले के खिलाफ गूगल की अपील पर विचार करने को सहमत हो गया था. जिसमें सीसीआई द्वारा कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के लिए उस पर लगाए गए 1,337.76 करोड़ रुपये के जुर्माने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. एनसीएलएटी में झटका लगने के बाद गूगल ने शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसने एंड्रॉइड मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम मामले में कई बाजारों में प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग पर सीसीआई के आदेश पर रोक नहीं लगाई.
क्या है मामला?
सीसीआई ने पिछले साल अक्टूबर में आदेश पारित किया था और गूगल ने दो महीने बाद दिसंबर में अपील दायर की थी, इसलिए एनसीएलएटी ने जल्दबाजी न दिखाते हुए इस महीने की शुरुआत में अंतरिम आदेश पारित की. इसने गूगल को जुर्माना राशि का 10 प्रतिशत जमा करने का निर्देश दिया. ट्रिब्यूनल ने कहा था कि अपील दायर करने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई गई, इसलिए गूगल को अंतरिम राहत के लिए दबाव बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. पिछले साल अक्टूबर में सीसीआई ने एंड्रॉइड मोबाइल उपकरणों के संबंध में कई बाजारों में अपनी प्रभावपूर्ण स्थिति का दुरुपयोग करने के कारण कंपनी पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. सीसीआई ने प्ले स्टोर नीतियों के संबंध में अपनी प्रभावपूर्ण स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए कंपनी पर 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया.