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‘Heal in India’ से मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा, भारत बना ग्लोबल हेल्थकेयर हब

भारत मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (MVT) के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहाँ किफायती और विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवाएँ मिल रही हैं. ‘हील इन इंडिया’ पहल और नीतिगत सुधारों से यह क्षेत्र तेज़ी से विकसित हो रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था, निवेश और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा.

Medical Tourism

पिछले दो दशकों में, भारत मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (MVT) के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभरा है. इसका श्रेय विश्वस्तरीय लेकिन किफायती स्वास्थ्य सेवाओं, न्यूनतम प्रतीक्षा समय, अत्याधुनिक अवसंरचना, कुशल स्वास्थ्य पेशेवरों, उन्नत चिकित्सा तकनीक और आयुर्वेद एवं योग जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के संयोजन को जाता है. भारत धीरे-धीरे मेडिकल टूरिज्म के वैश्विक केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है.

हाल ही में घोषित केंद्रीय बजट में ‘हील इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने और वीज़ा प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे इस क्षेत्र को नई गति मिलेगी. वर्तमान में यह क्षेत्र लगभग ₹1 लाख करोड़ का है और इसके 17.2% की स्वस्थ वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ 2034 तक ₹4.3 लाख करोड़ को पार करने की संभावना है.

भारत का स्वास्थ्य तंत्र थाईलैंड, सिंगापुर, ब्राज़ील और तुर्की जैसे अन्य मेडिकल टूरिज्म गंतव्यों के समकक्ष है. मेडिकल टूरिज्म एसोसिएशन द्वारा जारी 2020-21 के मेडिकल टूरिज्म इंडेक्स (MTI) में भारत को 46 गंतव्यों में 10वां स्थान प्राप्त हुआ है. कई भारतीय स्वास्थ्य सुविधाएँ जॉइंट कमीशन इंटरनेशनल (JCI) जैसी वैश्विक मान्यताएं प्राप्त कर चुकी हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता और अंतरराष्ट्रीय रोगियों के लिए आकर्षण बढ़ता है.

खासियतें और वैश्विक मान्यता

भारत में चिकित्सा प्रक्रियाओं की लागत पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है. रोगी 60-90 प्रतिशत तक की बचत कर सकते हैं, जिससे भारत एक लागत-प्रभावी विकल्प बनता है, वह भी गुणवत्ता से समझौता किए बिना. यह किफायती सुविधा कॉस्मेटिक सर्जरी, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट से लेकर कार्डियोलॉजी और ऑन्कोलॉजी जैसी जटिल प्रक्रियाओं तक फैली हुई है.

मेडिकल प्रक्रियाओं की प्रत्यक्ष बचत के अलावा, मेडिकल टूरिज्म के अंतर्गत आने वाले रोगियों को कई अन्य आर्थिक लाभ भी मिलते हैं. भारत में आवास व्यय काफी कम है और मरीजों व उनके साथियों के लिए बजट-अनुकूल विकल्प उपलब्ध हैं. कई अस्पताल भी अपने परिसर में सस्ते गेस्टहाउस की सुविधा प्रदान करते हैं. इसके अलावा, भारत विश्व में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिससे उपचार के बाद की देखभाल भी किफायती हो जाती है. अनुकूल मुद्रा विनिमय दर भी एक प्रमुख कारक है, जो अमेरिका, ब्रिटेन, बांग्लादेश, मध्य पूर्व, अफ्रीका, सीआईएस (CIS) देश, सार्क (SAARC) देश, दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र के रोगियों के लिए चिकित्सा खर्च को और अधिक किफायती बनाता है.

हील इन इंडिया कार्यक्रम पर क्यों ध्यान देना चाहिए?

हर वर्ष लगभग 7.3 मिलियन विदेशी मरीज भारत में इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में ‘हील इन इंडिया’ कार्यक्रम को विशेष बढ़ावा देना आवश्यक है. इससे न केवल भारत की वैश्विक मेडिकल टूरिज्म में स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह देश के स्वास्थ्य तंत्र को भी सुदृढ़ करेगा, रोगियों की सेवा को सुव्यवस्थित करेगा और भारतीय चिकित्सा सुविधाओं में विश्वास को और अधिक दृढ़ करेगा.

मेडिकल टूरिज्म भारत के हेल्थकेयर क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह निवेश चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाता है, नई तकनीकों को अपनाने में मदद करता है और भारतीय अस्पतालों को वैश्विक मानकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाता है. जैसे-जैसे भारत मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनता जा रहा है, वैसे-वैसे अंतरराष्ट्रीय रोगियों की बढ़ती मांग के कारण विश्वस्तरीय अस्पतालों, उन्नत चिकित्सा उपकरणों और विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता भी बढ़ रही है. इससे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, निवेशकों और निजी इक्विटी फर्मों को भारतीय अस्पतालों, टेलीमेडिसिन प्लेटफार्मों, वेलनेस सेंटरों और मेडिकल रिसर्च सुविधाओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.

इससे स्वास्थ्य अवसंरचना का और अधिक विस्तार होगा—विशेष अस्पतालों, वेलनेस सेंटरों और टेलीमेडिसिन सेवाओं के रूप में—जिससे निर्माण, सुविधा प्रबंधन और चिकित्सा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. इसके अतिरिक्त, पर्यटन, आतिथ्य और फार्मास्युटिकल उद्योग भी लाभान्वित होंगे, जिससे समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.

सरकार को क्या नीतिगत बदलाव करने चाहिए?

हालांकि मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (MVT) क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसे कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो इसकी प्रगति और दक्षता को प्रभावित कर रही हैं. इनमें से एक प्रमुख समस्या यह है कि इस क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस नियामक ढांचा नहीं है. इस कमी के कारण MVT एक संगठित रूप में नहीं है, जिससे इसमें प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी करना कठिन हो जाता है. उचित निगरानी के अभाव में, मरीजों को सेवाओं में असमानता का सामना करना पड़ सकता है, जिससे भारत की छवि को नुकसान हो सकता है. ऐसे में सरकार को इस क्षेत्र के लिए स्पष्ट नियम और दिशा-निर्देश जारी करने, बेहतर सुविधा प्रदान करने और सुव्यवस्थित मार्केटिंग प्रयासों को अपनाने की आवश्यकता है, ताकि भारत को एक विश्वसनीय मेडिकल वैल्यू ट्रैवल केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके.

एक और बड़ी चुनौती विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों के बीच समन्वय की कमी है, जो MVT को बढ़ावा देने में लगे हैं. मेडिकल टूरिज्म को संचालित और समन्वित करने के लिए कोई समर्पित नोडल एजेंसी नहीं होने के कारण कार्यकुशलता प्रभावित होती है और कई अवसर हाथ से निकल जाते हैं. इसके अलावा, प्रमुख हितधारकों—जैसे एयरलाइंस, अस्पतालों और होटलों—के बीच खराब समन्वय से अंतरराष्ट्रीय रोगियों के लिए एक सुचारु अनुभव प्राप्त करना कठिन हो जाता है.

साथ ही, भारत को एक वैश्विक मेडिकल टूरिज्म गंतव्य के रूप में प्रभावी रूप से प्रचारित नहीं किया गया है. जहां कुछ निजी अस्पताल अपनी सेवाओं का प्रचार करते हैं, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर सरकार द्वारा संचालित कोई व्यापक अभियान नहीं है जो भारत को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर सके. इसलिए, एक सुव्यवस्थित प्रचार रणनीति, नियामक समर्थन और हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है, ताकि भारत के मेडिकल वैल्यू ट्रैवल क्षेत्र की पूरी क्षमता को उजागर किया जा सके और इसे अंतरराष्ट्रीय रोगियों के लिए एक शीर्ष गंतव्य बनाया जा सके.

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-भारत एक्सप्रेस 



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