

भारत का डेटा सेंटर उद्योग लगातार विस्तार कर रहा है और 2014 से 2024 के बीच इसमें 6.5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश हुआ है. यह निवेश निजी इक्विटी, संयुक्त उद्यम और अधिग्रहण के माध्यम से किया गया है. यह जानकारी ANAROCK Capital की एक हालिया रिपोर्ट में सामने आई है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का डेटा सेंटर बाजार वर्तमान में 10 अरब डॉलर का हो चुका है. वित्त वर्ष 2023-24 में इस सेक्टर से लगभग 1.2 अरब डॉलर का राजस्व अर्जित किया गया. पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. 2019 से 2024 के बीच डेटा सेंटर की क्षमता में 139% की वृद्धि हुई है, जिससे यह 590 मेगावाट से बढ़कर 1.4 गीगावाट हो गया है. रिपोर्ट बताती है कि इस बाजार से होने वाले कुल राजस्व का 78% केवल चार प्रमुख ऑपरेटरों के पास है. हालांकि, 2020 के बाद से EBITDA वृद्धि स्थिर होती दिख रही थी, लेकिन जैसे-जैसे निर्माणाधीन परियोजनाएं पूरी होंगी, इसमें 50-55% की वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है.
बढ़ता निवेश और विस्तार
ANAROCK Capital के एमडी और सीईओ शोभित अग्रवाल का कहना है कि 2022 से 2024 के बीच पूंजी निवेश में भारी बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2024 तक 4.2 अरब डॉलर का निवेश जमीन पर किया जा चुका है. मार्च 2024 तक कुल पूंजी निवेश 2.6 अरब डॉलर इक्विटी और 2.4 अरब डॉलर कर्ज के रूप में हुआ है. उनका मानना है कि यह निवेशक विश्वास और विस्तार की आक्रामक रणनीति को दर्शाता है.
ANAROCK Capital के कार्यकारी निदेशक देवी शंकर का कहना है कि इस वृद्धि के पीछे इंटरनेट का तेजी से बढ़ता उपयोग है. 2019 में भारत की इंटरनेट पहुंच 33.4% थी, जो 2024 में बढ़कर 55.2% हो गई है. इसके अलावा, डेटा खपत में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है. 2019 में प्रति व्यक्ति डेटा खपत 11.5 GB प्रति माह थी, जो 2024 में 21.1 GB प्रति माह हो गई है. औसत मोबाइल डेटा ट्रैफिक भी 13 GB से बढ़कर 32 GB तक पहुंच चुका है. उनका कहना है कि भारत अब दुनिया में प्रति स्मार्टफोन सबसे अधिक औसत मोबाइल डेटा ट्रैफिक वाला देश बन गया है और यही वजह है कि देश में हाई-ग्रेड डेटा सेंटर की मांग तेजी से बढ़ रही है.
देश के डेटा सेंटर बाजार का 70% हिस्सा मुंबई और चेन्नई के पास है. अकेले मुंबई का योगदान 49% है. 2022 से 2024 के बीच मुंबई में डेटा सेंटर की आपूर्ति में 92% और चेन्नई में 340% की वृद्धि दर्ज की गई है. अन्य प्रमुख डेटा सेंटर हब में नोएडा, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे शामिल हैं. इन शहरों में 76% डेटा सेंटर क्षमता का उपयोग हो चुका है, जिससे सेक्टर की मजबूत स्थिति का संकेत मिलता है.
हाइपरस्केल और एज डेटा सेंटर का विकास
भारत तेजी से हाइपरस्केल डेटा सेंटर का हब बन रहा है. पिछले पांच वर्षों में हाइपरस्केल डेटा सेंटर के लिए 440 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है. इनमें सबसे अधिक हिस्सा हैदराबाद में है, जहां 69% जमीन खरीदी गई है, जबकि मुंबई में 22% और पुणे में 9% जमीन का अधिग्रहण हुआ है. हाइपरस्केल डेटा सेंटर बड़े पैमाने पर क्लाउड सेवाएं और स्टोरेज प्रदान करते हैं, जिससे डिजिटल इकोसिस्टम को मजबूती मिलती है.
इसके अलावा, छोटे और विकेन्द्रीकृत एज डेटा सेंटर भी तेजी से उभर रहे हैं. ये डेटा प्रोसेसिंग को उपयोगकर्ताओं के करीब लाने में मदद करते हैं. जयपुर, अहमदाबाद, कोच्चि, विशाखापट्टनम, लखनऊ, पटना और भुवनेश्वर जैसे शहरों में इनकी स्थापना की जा रही है. इनका उद्देश्य छोटे शहरों में भी डिजिटल सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है.
भारत का डेटा सेंटर बाजार अभूतपूर्व गति से बढ़ रहा है. बढ़ती इंटरनेट पहुंच, डिजिटल ट्रैफिक और हाइपरस्केल डेटा सेंटर के विस्तार से यह सेक्टर आने वाले वर्षों में और मजबूत होगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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