सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस (CSO) ने 2024-25 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.4% लगाया है, जिससे विकास दर धीमी होने की चिंता बढ़ गई है. लेकिन भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष संजीव पुरी भारतीय मैन्युफैक्चरिंग और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के भविष्य को लेकर आशावादी हैं. बिजनेसलाइन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने आर्थिक वृद्धि, चुनौतियों और आगामी बजट से उम्मीदों पर अपने विचार साझा किए.
पुरी ने मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग में अनुमानित गिरावट को स्वीकार किया, लेकिन कुछ सकारात्मक रुझानों पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, “दूसरी तिमाही में प्राइवेट सेक्टर द्वारा नई परियोजनाओं की घोषणाएं पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में काफी अधिक रहीं. अगर वैश्विक स्थिति बेहतर होती, तो यह विकास और तेज हो सकता था.”
उन्होंने भारत में खपत के स्तर को थोड़ा सुस्त बताया, जो कॉर्पोरेट परिणामों में झलकता है. “जैसे ही सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) बढ़ेगा, यह इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े क्षेत्रों को भी गति देगा. इसके अलावा, कैपिटल गुड्स इंडस्ट्रीज की ऑर्डर बुक मजबूत है, जो संकेत देती है कि निवेश होने वाले हैं. सार्वजनिक कैपेक्स निजी निवेश को भी आकर्षित करेगा और मांग को प्रोत्साहित करेगा,” उन्होंने कहा.
मैन्युफैक्चरिंग में सुधार
पुरी ने मैन्युफैक्चरिंग में सुधार को लेकर विश्वास जताया और इसका श्रेय सरकार की कई पहलों को दिया. उन्होंने कहा, “कई वर्षों के प्रयासों के बाद मैन्युफैक्चरिंग में सकारात्मक रुझान दिख रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) से मिली सीख को अन्य क्षेत्रों में लागू करना चाहिए.”
उन्होंने श्रम-प्रधान उद्योगों जैसे परिधान (गारमेंट) और जूता-चप्पल (फुटवियर) के लिए लक्षित हस्तक्षेपों की सिफारिश की. “क्षेत्र-विशिष्ट उपाय जरूरी हैं. उदाहरण के लिए, पर्यटन क्षेत्र को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देने से इसे पूंजी तक पहुंचने में मदद मिलेगी और इसकी वृद्धि को गति मिलेगी,” उन्होंने कहा.
MSME और PLI को मजबूत करना
पुरी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने ECLGS 5.0 (इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम) की शुरुआत की मांग की.
साथ ही, उन्होंने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना को नए क्षेत्रों में विस्तारित करने की वकालत की. उन्होंने कहा, “PLI योजना ने मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि को बढ़ावा दिया है, और इसके लाभों को अन्य उद्योगों तक भी फैलाना चाहिए.”
पुरी ने प्राइवेट इन्वेस्टमेंट की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, “वर्तमान आर्थिक माहौल, सार्वजनिक खर्च के मजबूत समर्थन के साथ, निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए अनुकूल है. सही नीतिगत हस्तक्षेप और महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर निरंतर ध्यान केंद्रित करके, भारत अपने विकास पथ को बनाए रखने के लिए अच्छी स्थिति में है.”
वैश्विक चुनौतियों और घरेलू दबावों के बीच, संजीव पुरी जैसे उद्योग जगत के नेताओं का विश्वास भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और स्थिर वृद्धि की संभावनाओं को दर्शाता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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