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Delhi High Court ने क्रिप्टोकरेंसी और भारत में बिटबीएनएस के जरिए व्यवसाय जोखिम की जांच के मामले में RBI और SEBI से मांगा जवाब

बिटबीएनएस एक भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म है जो ग्राहकों को क्रिप्टोकरेंसी को बेहतर मूल्य पर व्यवसाय करने की अनुमति देता है. उसके माध्यम से व्यवसाय करने के जोखिम को कम करने एवं उसे विनयमित करने के लिए नियामक बनाने को लेकर RBI और SEBI को निर्देश देने की मांग की गई है.

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दिल्ली हाईकोर्ट.

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन और भारत में बिटबीएनएस के जरिए व्यवसाय करने में जोखिम की जांच के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एवं भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) से जवाब मांगा है. जस्टिस सचिन दत्ता ने सेबी और RBI से याचिकाकर्ताओं के लगाए गए आरोपों की पुष्टि करने के लिए कहा और 4 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी है.

RBI और SEBI से निर्देश देने की मांग

बिटबीएनएस एक भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म है जो ग्राहकों को क्रिप्टोकरेंसी को बेहतर मूल्य पर व्यवसाय करने की अनुमति देता है. उसके माध्यम से व्यवसाय करने के जोखिम को कम करने एवं उसे विनयमित करने के लिए नियामक बनाने को लेकर RBI और SEBI को निर्देश देने की मांग की गई है. यह मांग क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के 16 उपयोगकर्ताओं ने की है और उसको लेकर याचिका दाखिल की है.

उन्होंने SIT या CBI से मामले की जांच कराने की मांग की है. जिससे प्लेटफॉर्म की फायनांशियल फ्राड, साइबर एटैक, फंड कुप्रबंधन एवं परिचालन संबंधि खामियों की जांच की जा सके.

ग्राहकों से बात छुपाई गई

याचिकाकर्ताओं ने प्लेटफार्म के जरिए लगाए गए राशि की वापसी एवं उसके लिए लगाए गए मनमाने ढ़ंग से रोक का मुद्दा उठाया है. साथ ही वित्तीय प्रबंधन की अनियममितता व धोखाधड़ी के लिए मुआवजा दिलवाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि उसके लिए विनियमन न होने से उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी, वित्तीय नुकसान और कुप्रबंधन का शिकार बना सकता है.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट से कहा कि बिटबीएनएस प्लेटफॉर्म ने भारत में कई लोगों से पैसे लिए और साइबर हमले के बाद उसे भारत से बाहर भेज दिया गया. उस बात को उपयोगकर्ताओं से छुपाया गया. जबकि उसे क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के रूप में पारदर्शिता, सुरक्षा व उपयोगकर्ताओं की शिकायतों का समय पर समाधान करना चाहिए.

ऐसा नहीं होने से उपयोगकर्ताओं को वित्तीय व मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुंचा है. वकील ने यह भी कहा कि इस मामले में जब क्रिप्टो प्लेटफार्म को पक्षकार बनाया गया तो उसके निदेशकों ने निवेशकों के पैसे किस्त में वापस करना शुरू कर दिया.


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-भारत एक्सप्रेस



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