
कई सालों तक विदेशी मुख्यालय स्थापित करने के बाद, भारतीय स्टार्टअप्स अब तेजी से भारत लौट रहे हैं. Razorpay, Udaan, Pine Labs और Meesho जैसी कंपनियां अपने पहले के फैसले को बदल रही हैं. Zepto पहले ही यह प्रक्रिया पूरी कर चुका है. इसे “रिवर्स फ्लिपिंग” कहा जा रहा है. इसके पीछे कारण हैं – बेहतर आईपीओ संभावनाएं, आसान नियम-कानून और भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था.
इस बदलाव में कई कानूनी और नियामक मंज़ूरी लेनी पड़ती हैं. साथ ही, कंपनियों को भारी टैक्स भी देना होता है. लेकिन भारत के पूंजी बाजार की मजबूती स्टार्टअप्स को वापस लाने का बड़ा कारण बन रही है. Accel के पार्टनर आलोक बठीजा के मुताबिक, भारत में कोई भी सॉफ्टवेयर कंपनी 50-60 मिलियन डॉलर की कमाई पर आईपीओ ला सकती है. वहीं, अमेरिका में इसके लिए 500 मिलियन डॉलर की कमाई जरूरी होती है. भारतीय बाजार में उच्च वैल्यूएशन और आसान प्रक्रिया की वजह से स्टार्टअप्स भारत लौट रहे हैं.
70 से ज्यादा स्टार्टअप्स कर रहे हैं वापसी
जानकारों का अनुमान है कि 70 से ज्यादा स्टार्टअप्स अपने हेडक्वार्टर भारत ला रहे हैं. इनमें से 20 बड़े स्टार्टअप्स हैं. हालांकि, अब भी करीब 500 भारतीय स्टार्टअप्स विदेश में पंजीकृत हैं, खासतौर पर अमेरिका और सिंगापुर में.
PhonePe की वापसी सबसे चर्चित रही. कंपनी ने सिंगापुर से भारत आने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाया. PhonePe के को-फाउंडर और सीईओ समीर निगम ने कहा, “हमारी शुरुआत भारत से हुई थी. हमारा ध्यान भारत पर है और हम दशकों तक यहीं रहेंगे.”
सरकार ने की प्रक्रिया आसान
पहले किसी विदेशी स्टार्टअप को भारतीय शाखा में मर्ज करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की मंज़ूरी लेनी पड़ती थी. यह प्रक्रिया काफी लंबी थी. अब सिर्फ सरकार और RBI की मंज़ूरी से काम हो सकता है, जिससे यह बदलाव तेज़ी से हो रहा है.
पहले माना जाता था कि ऊंचे वैल्यूएशन के लिए स्टार्टअप्स को NASDAQ पर लिस्ट होना ज़रूरी है. लेकिन भारतीय टेक कंपनियों के शानदार प्रदर्शन ने इस धारणा को बदल दिया है. Quona Capital के पार्टनर वरुण मल्होत्रा के मुताबिक, भारत दुनिया के सबसे मजबूत IPO मार्केट्स में से एक है. 2024 में भारत में 327 कंपनियों ने आईपीओ लॉन्च किया, जबकि अमेरिका में यह संख्या 183, यूरोप में 125 और चीन में 98 रही.
Razorpay ने क्यों किया रिवर्स फ्लिपिंग?
Razorpay ने भारत लौटने के लिए 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा का टैक्स चुकाया. लेकिन कंपनी के सीईओ हर्षिल माथुर के मुताबिक, यह एक सही फैसला है. उन्होंने कहा, “भारत में आईपीओ की प्रक्रिया अब पहले से ज्यादा आसान हो गई है. हमारे लिए भारत ही सबसे सही बाजार है. लोग Razorpay को समझते हैं, इसलिए यहीं लिस्ट होना ज्यादा फायदेमंद रहेगा.”
भारत अब एक बड़ा स्टार्टअप हब बन चुका है. Goldman Sachs India के Sunil Khaitan का मानना है कि 2025 में यह ट्रेंड और तेज़ होगा. जैसे-जैसे सरकारी नियम आसान होते जाएंगे और घरेलू निवेश के अवसर बढ़ेंगे, भारतीय स्टार्टअप्स के लिए विदेश में रजिस्ट्रेशन करवाने का चलन धीरे-धीरे खत्म हो सकता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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