

- बृजेश सिंह, वरिष्ठ IPS अधिकारी
भारत आज दुनिया के उन अग्रणी देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने आम लोगों के लिए डिजिटल सार्वजनिक वस्तुएं (Digital Public Goods – DPGs) तैयार की हैं. इन नवाचारों ने न सिर्फ सेवा वितरण के तरीकों को बदला है, बल्कि आर्थिक व्यवस्था को भी नई दिशा दी है. निजी तकनीकी प्लेटफार्मों के विपरीत, “इंडिया स्टैक” नामक यह ढांचा खुला, आपस में जुड़ा हुआ और समावेशी है, जो शहरी पेशेवरों से लेकर ग्रामीण किसानों तक सभी के लिए कार्य करता है.
आधार, यूपीआई, डिजीलॉकर और कोविन
भारत की डिजिटल क्रांति की शुरुआत आधार से हुई, जो विश्व की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली है. इसके ऊपर बना यूपीआई (Unified Payments Interface) डिजिटल भुगतान का सबसे सरल और सस्ता माध्यम बन गया है. डिजीलॉकर ने दस्तावेज़ों की डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित की है, जबकि CoWIN ने महामारी के दौरान देशव्यापी टीकाकरण को व्यवस्थित किया.
मॉड्यूलर, स्केलेबल और ओपन टेक्नोलॉजी
भारत का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर मॉड्यूलर और ओपन API पर आधारित है, जिससे निजी डेवलपर भी नवाचार कर सकते हैं. यूपीआई हर महीने 14 अरब से अधिक लेनदेन करता है और 2027 तक यह संख्या प्रतिदिन 1 अरब तक पहुँच सकती है.
भारत की बड़ी ताकत डिजिटल समावेशिता
डिजिटल समावेशिता भारत की सबसे बड़ी ताकत रही है. डिजीलॉकर और CoWIN जैसे प्लेटफॉर्म कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं. भारतनेट परियोजना गांवों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ने का कार्य कर रही है. इसके अलावा, कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSCs) ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दे रहे हैं.
गोपनीयता की सुरक्षा और भरोसे का निर्माण
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के माध्यम से नागरिकों की निजी जानकारी को सुरक्षा दी गई है. आधार डाटा को एन्क्रिप्शन और बायोमेट्रिक हैशिंग के जरिए सुरक्षित करता है. UIDAI पोर्टल शिकायत निवारण में मदद करता है.
नवाचार को प्रोत्साहन और आर्थिक विकास
डिजिटल इंडिया और अटल इनोवेशन मिशन जैसे कार्यक्रमों ने स्टार्टअप्स को बल दिया है. ONDC छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स में सक्षम बना रहा है. JAM ट्रिनिटी (जनधन, आधार, मोबाइल) ने 51 करोड़ से अधिक लोगों को बैंकिंग व्यवस्था में शामिल किया है.
DBT जैसे कार्यक्रमों से पारदर्शिता-बचत
यूपीआई की न्यूनतम ट्रांजैक्शन लागत और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) जैसे कार्यक्रमों से सरकार ने करीब $24 बिलियन की बचत की है. MOSIP, जो आधार से प्रेरित है, अब 10+ देशों में अपनाया जा रहा है.
वे सेवा, जिनसे नागरिकों को सशक्त बनाना
आज नागरिक आधार ऐप और डिजीलॉकर से अपने पहचान पत्र और सेवाओं तक सीधी पहुंच प्राप्त कर रहे हैं. छोटे व्यापारी भी यूपीआई की मदद से कैशलेस लेनदेन को अपनाकर व्यापार को नया आयाम दे रहे हैं.
2047 की ओर: भारत का डिजिटल भविष्य
जैसे-जैसे भारत 2047 के स्वतंत्रता शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहा है, यह डिजिटल बुनियाद उसे वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे ले जा रही है. भारत का मॉडल अन्य विकासशील देशों के लिए एक मार्गदर्शक बन सकता है—जहाँ तकनीक को निजी लाभ के बजाय सार्वजनिक हित में इस्तेमाल किया जा रहा है.
- यह बृजेश सिंह के व्यक्तिगत विचार हैं, वह एक वरिष्ठ IPS अधिकारी और लेखक हैं (@brijeshbsingh on X). प्राचीन भारत पर उनकी नवीनतम पुस्तक, “The Cloud Chariot” (Penguin) स्टैंड पर है.
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