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रुपये पर भ्रामक बयानबाजी: मूल्यह्रास पर संदेह मिटना जरूरी, आरबीआई की कार्रवाई पर स्पष्टता

भारतीय रुपये से जुड़े आंकड़ों पर नज़र डालें तो तकनीकी रूप से हम पाते हैं कि रुपये की वैल्यू में एक महत्वपूर्ण बदलाव तब आया जब अगस्त 2022 में रुपया डॉलर के मुकाबले 80 के आंकड़े को पार कर गया.

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प्रतीकात्मक फोटो.

अगस्त 2022 में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की वैल्यू 80 के पार चले जाने के बाद, विदेशी मुद्रा बाजार में एक बड़ा बदलाव हुआ. यह एक स्पष्ट संकेत था कि मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है. यह परिवर्तन भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था.

रुपये का अवमूल्यन और RBI का क़दम

हाल के वर्षों में, रुपये के अवमूल्यन पर कई तरह की गलतफहमियाँ फैली हैं. विशेष रूप से कुछ लोग इसके पीछे केवल विदेशों से पूंजी के बाहर जाने को दोषी ठहराते हैं. हालांकि, रुपये की वैल्यू में गिरावट के कारण सिर्फ वित्तीय मंदी नहीं, बल्कि वैश्विक परिस्थितियाँ भी प्रभावी रही हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे नियंत्रित करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि भारतीय रूपया वैश्विक आर्थिक बदलावों से प्रभावित है.

रुपया: पार्श्वभूमि और हालात में बदलाव

वर्तमान में, कुछ लोग पुराने दृष्टिकोण के साथ मुद्रा के मूल्य की अवमूल्यन प्रक्रिया को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे Rip Van Winkle की तरह जो 20 साल बाद जागकर पुरानी दुनिया को समझने में असमर्थ था. विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये का अवमूल्यन, आरबीआई की कार्रवाई, और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ ऐसी हैं, कि कुछ लोग अब भी 20 साल पीछे हैं, और इन्हें समझने में कठिनाई हो रही है.

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