म्यूचुअल फंड्स अब निवेशकों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं. खासतौर पर सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (SIPs) के जरिए निवेश करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इसका कारण है ज्यादा रिटर्न पाने की चाहत और अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश. निवेश के बढ़ते विकल्प और जागरूकता ने इन उत्पादों को और लोकप्रिय बना दिया है.
भारत में बढ़ती महंगाई ने पारंपरिक निवेश विकल्पों जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) की चमक फीकी कर दी है. ये विकल्प, जो कभी स्थिरता और गारंटी वाले रिटर्न के लिए जाने जाते थे, अब महंगाई के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे. इससे निवेशकों को वास्तविक रिटर्न में नुकसान हो रहा है.
इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी से कर्ज लेना महंगा हुआ है. इस वजह से कर्ज आधारित निवेश के रिटर्न भी कम हो गए हैं. ऐसे में निवेशक ऐसे विकल्प तलाश रहे हैं, जो महंगाई को मात दे सकें और साथ ही लिक्विडिटी और जोखिम के बीच संतुलन बनाए रखें.
म्यूचुअल फंड्स के फायदे
म्यूचुअल फंड्स एक ऐसा तरीका है, जिसमें पैसा लगाने पर कई फायदे मिलते हैं:
म्यूचुअल फंड्स में आपका पैसा अलग-अलग जगहों पर लगाया जाता है, जिससे जोखिम कम होता है.
आपके पैसे को संभालने का काम विशेषज्ञ करते हैं.
इसमें अच्छा मुनाफा कमाने की संभावना होती है.
SIP के जरिए लोग हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाकर बड़ा फंड बना सकते हैं.
2024 में बड़ा बदलाव
Bankbazaar.com की रिपोर्ट ‘मनीमूड 2025’ के मुताबिक, 2024 में म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्या बढ़कर 62% हो गई, जो 2023 में 54% थी. इसका मतलब है कि अब लोग म्यूचुअल फंड्स को एक अच्छा निवेश विकल्प मानने लगे हैं.
इस बदलाव का एक बड़ा कारण है भारतीय निवेशकों की बढ़ती वित्तीय समझ. साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स ने म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना आसान और पारदर्शी बना दिया है. अब निवेशक अपने पैसे को रियल-टाइम ट्रैक कर सकते हैं, जरूरत पड़ने पर आसानी से निकाल सकते हैं और रिसर्च व एनालिसिस के लिए कई साधन उपलब्ध हैं. इससे लोग समझदारी से और सही फैसले लेने में सक्षम हो रहे हैं.
निवेश के पुराने तरीके हो रहे हैं पीछे
म्यूचुअल फंड्स की बढ़ती लोकप्रियता ने निवेश के कई नए रास्ते खोले हैं. लेकिन इसके चलते दूसरे विकल्पों में लोगों की रुचि कम हो गई है. फिक्स्ड डिपॉजिट और पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम्स जैसे पारंपरिक विकल्पों में निवेश घटा है. यहां तक कि शेयर बाजार में सीधा निवेश भी कम हुआ है, क्योंकि म्यूचुअल फंड्स कम जोखिम और विशेषज्ञों द्वारा प्रबंधित इक्विटी का बेहतर विकल्प देते हैं.
जीवन बीमा योजनाएं, खासकर एंडोमेंट प्लान्स और ULIPs, में भी गिरावट आई है. अब निवेशक पारदर्शी और ज्यादा रिटर्न देने वाले विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं. सोना, जो परंपरागत रूप से सुरक्षित निवेश माना जाता है, में भी रुचि उतार-चढ़ाव देख रही है. हालांकि, यह अभी भी पोर्टफोलियो में विविधता लाने का एक अहम हिस्सा बना हुआ है.
-भारत एक्सप्रेस
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