वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सिक्योरिटाइजेशन वॉल्यूम ने 68,000 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक आंकड़ा पार कर लिया. रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार, यह वृद्धि मुख्य रूप से निजी बैंकों की बढ़ती भागीदारी और पास-थ्रू सर्टिफिकेट्स (PTCs) के जरिए हुई.
ICRA की रिपोर्ट बताती है कि कुल 68,000 करोड़ रुपये में से 25,000 करोड़ रुपये निजी बैंकों द्वारा सिक्योरिटाइज किए गए. शेष 43,000 करोड़ रुपये गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) द्वारा योगदान किए गए. इनमें से लगभग 40,000 करोड़ रुपये का सिक्योरिटाइजेशन PTCs के माध्यम से हुआ.
एचडीएफसी बैंक का बड़ा योगदान
निजी बैंकों में एचडीएफसी बैंक की भूमिका सबसे बड़ी रही. बैंक ने Q3FY25 में लगभग 12,000 करोड़ रुपये का सिक्योरिटाइजेशन किया, जो पिछले तिमाही (Q2FY25) के 9,000 करोड़ रुपये से काफी ज्यादा है. एचडीएफसी बैंक का यह योगदान PTCs के जरिए आया है.
ICRA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अभिषेक डाफ्रिया के अनुसार, “कुछ प्रमुख निजी बैंक अपने क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेशियो को बेहतर बनाने के लिए सिक्योरिटाइजेशन का सहारा ले रहे हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जमा राशि की वृद्धि की रफ्तार तुलनात्मक रूप से धीमी है.”
वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि
सिक्योरिटाइजेशन वॉल्यूम में पिछले साल की समान अवधि (Q3FY24) की तुलना में करीब 80% की बढ़ोतरी हुई है. 2024 की तीसरी तिमाही में यह आंकड़ा 38,000 करोड़ रुपये था. हालांकि, पिछली तिमाही (Q2FY25) की तुलना में वॉल्यूम में ज्यादा बदलाव नहीं देखा गया. यह स्थिरता निजी बैंकों की सक्रिय भागीदारी के कारण है.
NBFCs का प्रदर्शन अपेक्षाकृत धीमा रहा. डाफ्रिया ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस और पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर्ड असेट क्लास में वितरण की गति धीमी रही. उद्योग की चुनौतियों ने NBFCs के लिए इस तिमाही में सिक्योरिटाइजेशन वॉल्यूम को तेज गति से बढ़ने नहीं दिया.
Q3FY25 में सिक्योरिटाइजेशन वॉल्यूम ने नई ऊंचाइयां छुईं. निजी बैंकों की भागीदारी ने इसे मजबूती दी, जबकि NBFCs ने भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया. सिक्योरिटाइजेशन ने न केवल बैंकों की क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेशियो को बेहतर बनाया, बल्कि बाजार में नई ऊर्जा भी भरी.
-भारत एक्सप्रेस
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