यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को याचिकाकर्ता ने वापस ले लिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नए सिरे से याचिका दाखिल करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि यह फ्रेस याचिका नहीं हो सकता है. अगर याचिका दायर करना है तो रिट के तहत दायर कीजिए नहीं तो हाई कोर्ट में मामला लंबित है, आप वहां याचिका दायर कीजिए. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका को वापस ले लिया है.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर को आदेश दिया था कि इस रासायनिक कचरे को वैज्ञानिक विधि से नष्ट किया जाए. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. दायर याचिका में कहा गया है कि यूनियन कार्बाइड के कचरे को भोपाल से पीथमपुर ले जाने का फैसला लेते समय वहां के लोगों से सलाह नहीं ली गई. दूसरी ओर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यूनियन कार्बाईड कारखाने के कचरे को निपटाने के लिए 6 सप्ताह का समय दे दिया है.
मीडिया को गलत खबरें न देने का निर्देश
हाई कोर्ट ने मीडिया को अपशिष्ट निपटान के मुद्दे पर गलत खबरें न देने का भी निर्देश दिया है. कुल 12 सीलबंद कंटेनरों में पैक किए कचरे को 2 जनवरी को भोपाल से धार जिले के पीथमपुर ले जाया गया. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर 2024 को आदेश दिया था कि इस रासायनिक कचरे को वैज्ञानिक विधि से नष्ट किया जाए.
मध्य प्रदेश सरकार ने एक जनवरी को यूनियन कार्बाइड से सुरक्षा के बीच कंटेनरों से कचरा पीथमपुर पहुंचाया. इसके बाद इसको लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. भारी विरोध को देखते हुए आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. इसके अलावा संयंत्र के पास स्थित तारपुरा गांव के लोगों को चिन्हित कर उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया है. इतना ही नहीं सरकार के इस कदम को रोकने के लिए लोगों ने आत्मदाह करने तक की कोशिश भी की है. इस कचरे के जलने से लोगों को रेडिएशन का खतरा हो सकता है, और अगर ऐसा हुआ तो वहां की चिकित्सा सुविधा भी पर्याप्त नहीं है.
वही विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार को कहना पड़ा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सामने स्थिति पेश करेंगे. तब तक कचरा जलाने की कार्रवाई शुरू नहीं होगी. इस बीच पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष डॉक्टर हेमंत हिरोले के नेतृत्व में दल रामकी प्लांट गया. वहां कंटेनर की सील लगी देख कर संतोष जताया.
-भारत एक्सप्रेस
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