प्रतीकात्मक फोटो.
Lakshadweep Ancient Ship: शनिवार (4 जनवरी) की सुबह गोताखोरों के एक समूह ने एक ऐतिहासिक खोज की, जिसमें उन्हें 17वीं या 18वीं सदी के एक यूरोपीय युद्धपोत का मलबा मिला. गोताखोर लक्षद्वीप द्वीपसमूह में कल्पेनी द्वीप के पास समुद्री जीवन की खोज कर रहे थे तभी उन्हें यह युद्धपोत मिला.
यह क्षेत्र में इस तरह की पहली खोज
शोधकर्ताओं के अनुसार, द्वीप के पश्चिमी भाग में स्थित जहाज के मलबे से पता चलता है कि यह इन तीन यूरोपीय देशों, पुर्तगाली, डच या ब्रिटिश का था और यह क्षेत्र में इस तरह की पहली खोज है. मलबे की स्टडी से पता चलता है कि यह 17वीं और 18वीं सदी में समुद्री संघर्षों, खास कर मध्य पूर्व और श्रीलंका के बीच व्यापार मार्ग पर प्रभुत्व के लिए लड़ाई के दौरान, के समय का है. तोप की उपस्थिति और जहाज के आकार से पता चलता है कि यह एक युद्धपोत रहा होगा, जो संभवतः लोहे या लोहे और लकड़ी के संयोजन से बना था, जो उस युग की खासियत थी.
Brannadives Satyajeet Mane नामक गोताखोरों के समूह का नेतृत्व करने वाले एक समुद्री खोजकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा,
“जब हमने कल्पेनी के पश्चिमी हिस्से में जहाज का मलबा देखा, तो हमें नहीं पता था कि यह एक युद्धपोत है. जब हमें एक तोप और एक लंगर मिला, तो हमें एहसास हुआ कि यह एक महत्वपूर्ण खोज हो सकती है.”
पानी के नीचे अध्ययन की जरूरत
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक और गोताखोरों के समूह के सलाहकार इदरीस बाबू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में पहले ऐसा जहाज का मलबा नहीं मिला था. उन्होंने बताया कि जहाज की लंबाई 50-60 मीटर रही होगी. ईस्ट इंडिया कंपनी ने 17वीं या 18वीं सदी में इस व्यापार मार्ग पर लोहे के जहाजों का इस्तेमाल करना शुरू किया था. इसके बारे में और जानने के लिए हमें पानी के नीचे पुरातात्विक अध्ययन की जरूरत है, तब तक हमें इस जगह की सुरक्षा करने की जरूरत है.”
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-भारत एक्सप्रेस
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