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पारंपरिक नौकरियां बढ़ेंगी, लेकिन तकनीकी कौशल की मांग सबसे ज्यादा: रिपोर्ट

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले पांच वर्षों में तकनीकी नौकरियों का विकास सबसे तेज होगा, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तकनीकी क्षमताएं सबसे ज्यादा मांग में होंगी.

Technical Jobs in India

अगले पांच वर्षों में पारंपरिक नौकरियां जैसे खेत मजदूर, डिलीवरी ड्राइवर, निर्माण कार्यकर्ता, खाद्य प्रसंस्करण कर्मचारी और सेल्सपर्सन सबसे ज्यादा संख्या में बढ़ेंगी. लेकिन प्रतिशत के लिहाज से तकनीकी नौकरियों का विकास सबसे तेज होगा. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तकनीकी क्षमताएं सबसे ज्यादा मांग में होंगी. यह जानकारी बुधवार को जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की रिपोर्ट ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स’ में दी गई.

रिपोर्ट के अनुसार, क्लर्क और सचिव लेवल की नौकरियों में सबसे ज्यादा गिरावट हो सकती है. दूसरी ओर, हेल्थ वर्कर्स और शिक्षा क्षेत्र की नौकरियों में तेज वृद्धि देखी जाएगी. भारत में बिग डेटा, AI और ML विशेषज्ञ, और सुरक्षा प्रबंधन के पेशेवरों की मांग बढ़ने की संभावना है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कई संरचनात्मक कारण, जैसे डिजिटल पहुंच का बढ़ना, बढ़ती जीवन लागत, जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियां, जनसांख्यिकी बदलाव और भू-राजनीतिक तनाव, 8% या 9.2 करोड़ मौजूदा नौकरियों को खत्म कर सकते हैं. लेकिन साथ ही, ये बदलाव 17 करोड़ नई नौकरियां भी पैदा करेंगे, जो कुल वर्कफोर्स का 14% होंगी.

भारत में नौकरियों का भविष्य

भारत में डिजिटल पहुंच, भू-राजनीतिक तनाव, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयास नौकरियों के भविष्य को आकार देंगे. भारतीय कंपनियां AI, रोबोटिक्स, स्वचालित प्रणाली (ऑटोमेशन) और ऊर्जा प्रौद्योगिकी में भारी निवेश कर रही हैं. सेमीकंडक्टर, कंप्यूटिंग, क्वांटम और एन्क्रिप्शन जैसी तकनीकों को अपनाकर कंपनियां अपने संचालन को बदलने की कोशिश कर रही हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और भारत में AI कौशल के लिए सबसे ज्यादा नामांकन हो रहे हैं. भारत में कॉर्पोरेट प्रायोजन (सपॉन्सरशिप) ने जनरेटिव AI (GenAI) प्रशिक्षण को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है.

कौशल की कमी एक बड़ी समस्या

WEF रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्लेषणात्मक सोच 2025 तक सबसे जरूरी कौशल बनी रहेगी. सात में से दस कंपनियां इसे अनिवार्य मानती हैं. इसके बाद लचीलापन, अनुकूलता, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक प्रभाव जैसे गुणों की मांग होगी.

रिपोर्ट ने बताया कि कौशल की कमी व्यवसायों के लिए सबसे बड़ी समस्या है. अनुमान है कि 2025 से 2030 के बीच कर्मचारियों के 39% मौजूदा कौशल या तो बदल जाएंगे या बेकार हो जाएंगे.

यह रिपोर्ट दिखाती है कि भविष्य में नौकरी पाने के लिए तकनीकी और विश्लेषणात्मक कौशल पर ध्यान देना बेहद जरूरी होगा. साथ ही, बदलते समय के साथ खुद को अनुकूलित करना हर कामगार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.

-भारत एक्सप्रेस



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