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Lok Sabha Election Result 2024: इस सीट पर दर्ज हुई इतिहास की सबसे बड़ी जीत! दूसरे नंबर पर रहा NOTA

बताया जा रहा है कि यह लोकसभा चुनाव के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है. यह मौजूदा लोकसभा चुनाव में देश भर की 543 सीट में संभवत: जीत का सबसे बड़ा अंतर है. भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि जीत का अंतर संभवत: देश के चुनावी इतिहास में ‘सबसे अधिक’ है.

शंकर लालवानी. (फोटो: X)

लोकसभा चुनाव में BJP के शंकर लालवानी (Shankar Lalwani) ने मंगलवार (6 जून) को 10 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की. इतना ही नहीं उनके बाद दूसरे नंबर कोई उम्मीदवार नहीं बल्कि NOTA रहा.

बताया जा रहा है कि यह लोकसभा चुनाव के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है. यह मौजूदा लोकसभा चुनाव में देश भर की 543 सीट में संभवत: जीत का सबसे बड़ा अंतर है. भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि लालवानी की जीत का अंतर संभवत: देश के चुनावी इतिहास में ‘सबसे अधिक’ है.

35 साल से भाजपा का कब्जा

हम मध्य प्रदेश की इंदौर सीट की बात कर रहे हैं, ​जहां पर भाजपा ने पिछले 35 साल से अपना कब्जा बरकरार रखा हुआ है. भाजपा 1989 से इंदौर सीट जीतती आ रही है. लालवानी इस सीट से निवर्तमान सांसद भी हैं. लालवानी से पहले सुमित्रा महाजन, जिन्होंने 2014 से 2019 तक लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, लगातार आठ बार इंदौर से जीती थीं.

अपने उम्मीदवार के पर्चा वापस लेने के कारण Congress के इंदौर में चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद लालवानी ने 12,26,751 वोट हासिल किए. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नोटा को 10,08,077 मतों से हराया. इस बार NOTA (None of the Above) को 2,18,674 वोट हासिल हुए और यह भी एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड है. बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रत्याशी संजय सोलंकी को 51,659 मतों से संतोष करना पड़ा, वह तीसरे स्थान पर रहे.

PM Modi को दिया जीत का श्रेय

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.48 लाख वोट से हराया था. लालवानी ने अपनी जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को दिया. उन्होंने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ से कहा, ‘इंदौर में भाजपा की जीत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की जीत है.’


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लालवानी ने कहा कि इंदौर में चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से ‘नोटा’ की अपील करके ‘नकारात्मक भूमिका’ निभाई.

उन्होंने कहा,‘पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार (पंकज संघवी) को जितने वोट मिले थे, इस बार उसके आधे वोट भी कांग्रेस के समर्थन वाले नोटा को नहीं मिल सके. यह दर्शाता है कि इंदौर की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है.’

लालवानी ने कहा कि वह सांसद के तौर पर अपने नए कार्यकाल के दौरान इंदौर में यातायात, पेयजल और पर्यावरण के क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए काम करेंगे.

अक्षय कांति ने कांग्रेस को दिया था तगड़ा झटका

इंदौर में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया था और इसके तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे.

नतीजतन इस सीट के 72 साल के इतिहास में कांग्रेस पहली बार चुनावी दौड़ से बाहर हो गई थी. इसके बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से अपील की कि वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर NOTA का बटन दबाकर भाजपा को सबक सिखाएं.

-भारत एक्सप्रेस

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