पीएम मोदी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अंडमान-निकोबार के द्वीपों का नाम हमारे नायकों के नाम पर रखना यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को आने वाली पीढ़ियां याद रखें. पीएम मोदी ने ये बात आज पत्रकार शिव अरूर की ओर से X.com पर साझा किए गए पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कही.
पीएम मोदी ने X.com पर लिखा, “अंडमान-निकोबार में द्वीपों का नाम हमारे नायकों के नाम पर रखना यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाए. यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और उन प्रतिष्ठित हस्तियों की स्मृति को संरक्षित करने के प्रयास का भी हिस्सा है, जिन्होंने हमारे देश पर एक अमिट छाप छोड़ी है.”
Naming the islands in Andaman and Nicobar after our heroes is a way to ensure their service to the nation is remembered for generations to come. This is also part of our larger endeavour to preserve and celebrate the memory of our freedom fighters and eminent personalities who… https://t.co/0XrX5b9rJJ
— Narendra Modi (@narendramodi) December 18, 2024
पीएम मोदी ने आगे लिखा, “जो राष्ट्र अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, वे ही विकास और राष्ट्र-निर्माण में आगे बढ़ते हैं. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का भी आनंद लें. सेलुलर जेल भी अवश्य जाएं और महान वीर सावरकर के साहस से प्रेरणा लें.”
देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।
‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को…
— Amit Shah (@AmitShah) September 13, 2024
अंडमान-निकोबार के 21 द्वीपों का नामकरण
बताते चलें कि पिछले साल 23 जनवरी 2023 को अंडमान के 21 द्वीपों के नाम भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिकों के नाम पर रखे गए थे. तब पीएम मोदी ने कहा था, “21 द्वीपों के नामकरण के पीछे एक संदेश है. यह संदेश ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना का है. यह संदेश देश के लिए हमारे परमवीरों के बलिदान और उनके अद्वितीय साहस और वीरता का है. इन 21 परमवीर चक्र विजेताओं ने देश की सेवा में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया. वे अलग-अलग राज्यों से थे, अलग-अलग भाषाएं बोलते थे, लेकिन वे देश की सेवा में एकजुट थे. यह देश का कर्तव्य है कि सेना के योगदान के साथ-साथ इन राष्ट्रीय रक्षा अभियानों के लिए खुद को समर्पित करने वाले सैनिकों को भी व्यापक रूप से मान्यता दी जाए. ”
आजाद हिंद फौज की सरकार के 75 वर्ष पूरे
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में अंडमान-निकोबार की धरती को नमन करते हुए कहा था, कि ये धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था. इस धरती पर पहली आज़ाद भारतीय सरकार का गठन हुआ था. इस सबके साथ, अंडमान की इसी धरती पर वीर सावरकर और उनके जैसे अनगिनत वीरों ने देश के लिए तप, तितिक्षा और बलिदानों की पराकाष्ठा को छुआ था. सेल्यूलर जेल की कोठरियां, उस दीवार पर जड़ी हुई हर चीज आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज़्बे के स्वर वहां पहुंचने वाले हर किसी के कान में पड़ते हैं, सुनाई पड़ते हैं. लेकिन दुर्भाग्य से, स्वतन्त्रता संग्राम की उन स्मृतियों की जगह अंडमान की पहचान को गुलामी की निशानियों से जोड़कर रखा गया था. हमारे आइलैंड्स के नामों तक में गुलामी की छाप थी, पहचान थी. मेरा सौभाग्य है कि चार-पांच साल पहले जब मैं पोर्ट ब्लेयर गया था तो वहां मुझे तीन मुख्य आइलैंड्स को भारतीय नाम देने का अवसर मिला था. आज रॉस आइलैंड, नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वीप बन चुका है. हेवलॉक और नील आइलैंड स्वराज और शहीद आइलैंड्स बन चुके हैं. औऱ इसमें भी दिलचस्प ये कि स्वराज और शहीद नाम तो खुद नेताजी का दिया हुआ था. इस नाम को भी आजादी के बाद महत्व नहीं दिया गया था. जब आजाद हिंद फौज की सरकार के 75 वर्ष पूरे हुए, तो हमारी सरकार ने इन नामों को फिर से स्थापित किया था.
- भारत एक्सप्रेस
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