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Munawwar Rana: शायर मुनव्वर राणा नहीं रहे, 71 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, लखनऊ के अस्पताल में थे भर्ती

मुनव्वर राणा मां पर लिखी गईं अपनी शायरियों की वजह से आम लोगों में खासा लोकप्रिय थे. वह कई बीमारियों की चपेट में आ गए थे. उन्हें किडनी की भी दिक्कतें थीं.

Munawwar Rana

शायर मुनव्वर राणा (फाइल फोटो)

Munawwar Rana Passed Away: मशहूर शायर मुनव्वर राणा का निधन हो गया है. आज 71 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. कुछ दिनों पहले ही उन्हें लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गॉल ब्लेडर में इन्फेक्शन की वजह से पिछले साल मई में उनका ऑपरेशन किया गया था. उसके बाद वह काफी समय वेंटिलेटर पर रहे. वह बीपी, शुगर और किडनी डिजीज से भी पीडित थे.

दिल्ली एम्स में शिफ्ट करने वाले थे, पड़ा दिल का दौरा

लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल का दौरा पड़ने से मुनव्वर राणा का निधन हुआ. पता चला है कि उनकी बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उन्हें दिल्ली एम्स ले जाना था. हालांकि, दिल का दौरा पड़ने से अभी रात को ही उन्होंने दम तोड़ दिया.

रायबरेली में सुपुर्द-ए-खाक होंगे मशहूर उर्दू शायर

राणा को अब रायबरेली में सुपुर्द-ए-खाक किया जा सकता है. बहरहाल, उनके शव को वाहन में अस्पताल से उनके लखनऊ के घर पर रवाना कर दिया गया है. मुनव्वर की बेटी सुमैया राणा ने मौत की सूचना को कंफर्म किया है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों पिता की तबीयत खराब होने के बाद उनको आईसीयू वॉर्ड में शिफ्ट किया गया था. यानी वे कई दिनों से लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई अस्पताल में भर्ती थे.

मुनव्वर राणा उर्दू अदब के एक मक़बूल नाम हैं, पेश हैं उनके लिखे बेहतरीन शेर-

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए

ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें
टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए

बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग
बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग
इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी

एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया
इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे

भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है
मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है

ताज़ा ग़ज़ल ज़रूरी है महफ़िल के वास्ते
सुनता नहीं है कोई दोबारा सुनी हुई

हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं

अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है
जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है

— भारत एक्सप्रेस

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