
Vande Bharat Express की फाइल फोटो

भारतीय रेलवे, जो आज से 150 साल पहले अस्तित्व में आई थी, अब देश की परिवहन व्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है. भाप से चलने वाली ट्रेनों से लेकर वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेनों तक, भारतीय रेलवे ने तकनीकी दृष्टिकोण से लंबा सफर तय किया है. आज, भारतीय रेलवे में हर साल 10 अरब से अधिक यात्री सफर करते हैं और लगभग 1.6 बिलियन टन माल परिवहन किया जाता है.
भारतीय रेलवे में 8,000 से अधिक ट्रेन सेट, 15,000 से अधिक लोकोमोटिव्स, 80,000 यात्री कोच और 3,00,000 से ज्यादा माल गाड़ियाँ शामिल हैं. इन सभी वाहनों की बेहतर कार्यक्षमता के लिए प्रौद्योगिकी और निर्माण प्रक्रियाओं में निरंतर सुधार किया गया है.
संचालन और रखरखाव में तकनीकी बदलाव
पारंपरिक रेलवे प्रणालियाँ मुख्य रूप से यांत्रिक थीं, लेकिन अब डिजिटल तकनीकों के कारण रखरखाव के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं. प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस (पूर्वानुमान आधारित रखरखाव) के उपयोग से डाउनटाइम को काफी कम किया गया है. अब हम ऐसे मॉडल की ओर बढ़ रहे हैं जिसमें न केवल समस्या आने पर समाधान किया जाता है, बल्कि इसकी पूरी जीवन चक्र योजना बनाई जाती है.
IoT और डेटा एनालिटिक्स का प्रभाव
IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) आधारित डिजिटल समाधानों और उन्नत डेटा प्रोसेसिंग ने भारतीय रेलवे को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बना दिया है. डेटा संग्रह और विश्लेषण के माध्यम से ऑपरेशनों की बेहतर योजना बनाई जाती है, जिससे यात्री संतुष्टि बढ़ती है. इसके साथ ही ऊर्जा की खपत की निगरानी और इसके अनुकूलन के लिए तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे कोस्ट बचत और डाउनटाइम में कमी आती है.
भारतीय रेलवे के लिए यह तकनीकी परिवर्तन अत्यधिक लाभकारी हैं. इससे न केवल संचालन में व्यवधान कम होता है, बल्कि लागतों का अनुकूलन भी होता है. भारतीय रेलवे अब रणनीतिक साझेदारियों की ओर बढ़ रहा है, जो सुरक्षा, दक्षता और स्थिरता को प्राथमिकता देती हैं. इसके अलावा, स्थानीय ठेकेदारों और विक्रेताओं को इसमें शामिल करके ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी बढ़ावा मिल रहा है.
भारतीय रेलवे का भविष्य बाहरी साझेदारी और उत्कृष्टता पर आधारित है. इसके साथ ही, यह नए कौशल विकास और रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. सरकार की पहल और बेहतर तकनीकी समाधान के जरिए भारतीय रेलवे अपनी कार्यक्षमता और जीवनकाल को बढ़ा सकता है.
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