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नदीमर्ग नरसंहार कांड के 22 साल: घाटी में आज ही के दिन मारे गए थे कश्मीरी पंडित, घरों में बरपा इस्‍लामी हमलावरों का कहर

सेना की वर्दी में आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के नदीमर्ग गांव में 23 मार्च 2003 को 24 हिंदू कश्मीरी पंडितों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. आज उस नरसंहार की 22वीं बरसी पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

Nadimarg Kashmiri Hindus Massacre
Vijay Ram Edited by Vijay Ram

2003 Nadimarg Massacre: जम्‍मू-कश्‍मीर के नदीमर्ग नरसंहार कांड को आज 22 साल हो गए हैं. वहां 23 मार्च 2003 की रात में इस्‍लामी कट्टरपंथियों ने कश्मीरी पंडितों के घरों में घुस-घुसकर जानलेवा हमले किए थे. इस नरसंहार कांड की आज 22वीं बरसी है.

नदीमर्ग नरसंहार कांड की 22वीं बरसी पर आज पहली बार उसी स्थान पर हवन और प्रार्थनाएं की गईं, जहां इस्‍लामी कट्टरपंथियों ने 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी थी. इस मर्तबा 24 कश्मीरी पंडितों को श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान स्थानीय निवासियों ने पीडितों की आपबीती सुनाई.

पहली बार घटनास्‍थल पर हवन और श्रद्धांजलि अर्पण

एक स्थानीय निवासी भूषण ने बताया कि मैं नदीमर्ग का मूल निवासी हूं, लेकिन अब पूरा परिवार जम्मू में रहता है. साल 2003 में इस्‍लामी कट्टरपंथियों ने कई लोगों की हत्या कर दी थी. ट्रस्ट ने फैसला लिया था कि उन सभी लोगों को उसी जगह पर श्रद्धांजलि दी जाएगी, जहां उनकी हत्या की गई थी. आज 24 कश्मीरी पंडितों को श्रद्धांजलि दी गई है.”

उन्होंने न्‍यूज एजेंसी IANS से बातचीत में कहा, “घटना वाले दिन कुछ हमलावर इलाके में घुस आए थे और कश्मीरी पंडितों को घर से बाहर निकालकर रात को 11 बजे गोली से भून दिया था. ये जगह हमारी यादों से जुड़ी हुई है और सरकार को सोचना चाहिए कि वापस लोगों को पुनर्स्थापित कैसे किया जाए.”

24 लोगों की निर्मम तरीके से कर दी गई थी हत्या

वहीं, एक अन्य स्थानीय निवासी ने बताया कि मैं 13 या 14 साल का था, जब 90 के दशक में कश्मीर में दहशतगर्दी की शुरुआत हुई. हमारा परिवार तो उस दौरान यहां से चला गया, लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी थे, जो साल 2003 तक यहीं बसे रहे. हालांकि, 23 मार्च 2003 को एक काली रात आई और 24 लोगों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई. यहां मौजूद घरों पर आज भी गोलियों के निशान मौजूद हैं, इस घटना में कई मासूम लोग मारे गए थे.

स्थानीय निवासी ने नरसंहार को याद करते हुए बताया कि हमें आज भी इस घटना का अफसोस है. यहां सभी लोग मिलजुलकर रहा करते थे.

बता दें कि 23 मार्च 2003 को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा जिले के नदीमर्ग गांव में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 24 हिंदू कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी थी. इस नरसंहार में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इसके बाद उनके घरों को जला दिया गया था.

  • भारत एक्‍सप्रेस


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