

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, लेकिन इस बार सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि कूटनीति के मैदान में भी भारत ने बड़ी जीत दर्ज की है. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया.
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई, जिसे भारत ने अपनी सहनशीलता की आखिरी सीमा माना. इसके बाद जब भारत ने जवाबी कार्रवाई की तो कुछ देशों और विश्लेषकों को चिंता थी कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आलोचना का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन नतीजा इसके बिल्कुल उलट निकला.
भारत को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन
भारत की कार्रवाई को पूरी दुनिया ने एक आत्मरक्षात्मक कदम माना. अमेरिका, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जापान, रूस, ब्रिटेन और यहां तक कि कुछ इस्लामी देशों ने भी भारत के कदम का समर्थन किया और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का संदेश दिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की संप्रभुता का समर्थन किया, वहीं यूरोपीय यूनियन के सभी 27 देशों ने भारत के पक्ष में एक संयुक्त बयान जारी किया. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि भारत के पास इस हमले का जवाब देने के पूरे कारण हैं. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी सीमा पार आतंकवाद को नकारा.
रूस ने बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जताई, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को सही बताया. इजरायल ने तो साफ कहा कि आतंकवादियों को कहीं भी पनाह नहीं दी जा सकती.
भारत ने दिखाया संयम
भारत ने केवल जवाबी हमला ही नहीं किया, बल्कि अपनी रणनीति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी साफ तौर पर रखा. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि भारत का हमला आतंकियों को खत्म करने के लिए था, और इसमें आम नागरिकों को नुकसान न पहुंचे इसका पूरा ध्यान रखा गया.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी पाकिस्तान द्वारा किए गए जवाबी मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद अमेरिका और यूरोप के नेताओं से तुरंत बात की और उन्हें स्थिति की पूरी जानकारी दी. उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत शांति चाहता है, लेकिन किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय मंच पर कमजोर पाकिस्तान
दूसरी ओर पाकिस्तान ने भारत की कार्रवाई के जवाब में दो रात तक सैन्य ठिकानों और नागरिक इलाकों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया. इससे पाकिस्तान की नीयत और नाकामी दोनों दुनिया के सामने आ गईं. यह भी साफ हो गया कि पाकिस्तान सिर्फ आतंकियों का बचाव ही नहीं कर रहा, बल्कि उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाले देश को भी निशाना बना रहा है.
इस बार सऊदी अरब, यूएई, कतर और ईरान जैसे इस्लामी देशों ने भी सीधे तौर पर पाकिस्तान का बचाव नहीं किया. उन्होंने केवल शांति की अपील की और आम नागरिकों को नुकसान न पहुंचाने पर जोर दिया. बांग्लादेश ने तो खुलकर भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया.
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-भारत एक्सप्रेस
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