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26/11 के हीरो सदानंद दाते ने खुद भारत लाया आतंकवादी तहव्वुर राणा, अब एनआईए प्रमुख के तौर पर कर रहे हैं जांच का नेतृत्व

मुंबई आतंकी हमलों के हीरो और राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लेकर आए हैं और इस ऐतिहासिक जांच की अगुवाई कर रहे हैं. 

Sadanand Date

मुंबई आतंकी हमलों के हीरो और राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते एक बार फिर चर्चा में हैं. 26/11 के उस भयावह दिन गोलियों का सामना करने वाले और कई जानें बचाने वाले दाते अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख के रूप में काम कर रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि वही सदानंद दाते अब 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लेकर आए हैं और इस ऐतिहासिक जांच की अगुवाई कर रहे हैं.

कैसे भारत लाया गया आतंकवादी तहव्वुर राणा?

सदानंद दाते की यह भूमिका प्रतीकात्मक ही नहीं, बल्कि एक मजबूत संदेश है—देश अपने वीरों के हाथों ही अपने दुश्मनों को न्याय के कटघरे तक पहुंचाएगा. राणा को अमेरिका के लॉस एंजेलिस से एनआईए और एनएसजी की संयुक्त टीम विशेष विमान से भारत लाई, जिसका नेतृत्व खुद एनआईए प्रमुख दाते कर रहे थे.

वीरता का प्रदर्शन

गौरतलब है कि सदानंद दाते ने 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमलों के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना मोर्चा संभाला था. वह तब मुंबई में आर्थिक अपराध शाखा के उपायुक्त थे और हमले के दौरान आतंकियों से सीधा मुकाबला किया था. इस दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे लेकिन उनकी बहादुरी ने कई निर्दोष नागरिकों की जान बचाई. इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक से सम्मानित किया गया था.

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सदानंद दाते एनआईए के तौर पर कर रहे जांच का नेतृत्व

अब जब तहव्वुर राणा को भारत लाया गया है, सदानंद दाते न केवल उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, बल्कि बतौर एनआईए प्रमुख उसकी गहन पूछताछ और जांच प्रक्रिया की भी अगुवाई कर रहे हैं. यह वही राणा है जिस पर लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान स्थित आतंकियों के साथ मिलकर 26/11 हमलों की साजिश रचने का आरोप है, जिसमें 166 लोग मारे गए और 238 से अधिक घायल हुए थे.

सीने पर गोलियां खाकर किया आतंक का सामना

सदानंद दाते का यह योगदान बताता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में न केवल कड़ा रुख अपनाए हुए है, बल्कि अब न्याय की बागडोर भी उन्हीं हाथों में है, जिन्होंने आतंक का सामना सीने पर गोलियां खाकर किया है.

-भारत एक्सप्रेस 



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