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19 साल बाद फिर हाथ मिलाएंगे राज-उद्धव ठाकरे? दोनों ने मतभेद भुलाने के संकेत दिए, बोले- हमारे लिए महाराष्ट्र फर्स्ट

महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने ‘मराठी मानुष’ की आड़ में फिर से एकजुट होने के संकेत दिए हैं. एक इंटरव्‍यू में आज राज बोले कि- हमारे मतभेद छोटे हैं, उद्धव ने भी कहा- मेरी ओर से कभी झगड़ा नहीं था.

Raj Thackeray Uddhav Thackeray
Vijay Ram Edited by Vijay Ram

Shiv Sena MNS Alliance News: महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. 19 साल पहले अलग हुए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे अब एक बार फिर साथ आने के संकेत दे रहे हैं. राज ठाकरे ने अभिनेता महेश मांजरेकर के यूट्यूब चैनल पर बातचीत के दौरान कहा कि उनके और उद्धव के बीच राजनीतिक मतभेद और झगड़े छोटे हैं, अगर महाराष्ट्र की भलाई के लिए हमें साथ आना पड़े, तो ये कोई बड़ी बात नहीं होगी.

राज बोले- महाराष्ट्र पहले, हमारे मतभेद बाद में

राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि उनका किसी के प्रति कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के सभी मराठी राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए और राज्य के हित में एक साथ काम करना चाहिए. उनका मानना है कि यदि इच्छाशक्ति हो तो यह बिल्कुल संभव है.

uddhav thackeray

उद्धव का जवाब- मेरी तरफ से कोई झगड़ा नहीं

राज के बयान के बाद उद्धव ठाकरे ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि मेरी तरफ से कभी कोई झगड़ा नहीं था. इससे दोनों नेताओं के बीच रिश्ते सामान्य होने की संभावना बढ़ गई है.

एकनाथ शिंदे और भाजपा पर भी बोले राज ठाकरे

राज ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे किसी और के अधीन काम नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्होंने शिवसेना छोड़ी, तब भी कई विधायक उनके पास आए थे लेकिन उन्होंने बालासाहेब ठाकरे के बाद किसी के अधीन नहीं रहने का निर्णय लिया.

Raj Thackeray

राजनीति में सब कुछ संभव, भाजपा पर रूख नरम

राज ठाकरे ने भाजपा के साथ जाने की संभावनाओं पर भी बात की. उन्होंने कहा कि उनकी विचारधारा भाजपा से मेल नहीं खाती, लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है. यह बयान भविष्य में संभावित गठबंधन की ओर भी इशारा करता है.

पिछले चुनाव में दोनों की स्थिति कमजोर रही थी

2024 के विधानसभा चुनाव में राज और उद्धव दोनों की पार्टियों को बड़ा झटका लगा था. उद्धव की यूबीटी को केवल 20 सीटें मिलीं, जबकि राज की मनसे एक भी सीट नहीं जीत पाई.

यह है राज और उद्धव के विवाद का बैकग्राउंड

राज ठाकरे 1989 से शिवसेना में सक्रिय थे और युवाओं में खासे लोकप्रिय रहे. लेकिन 2005 में पार्टी में अहम पदों को लेकर हुए मतभेद के चलते उन्होंने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में MNS की स्थापना की.

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