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नगालैंड के छह जिलों में क्यों लोकसभा चुनावों का बहिष्कार किया गया?

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदान हुआ. इस दौरान नगालैंड में करीब 56 प्रतिशत मतदान हुआ.

प्रतीकात्मक फोटो.

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत नगालैंड के 6 जिलों में चुनावों से ‘दूर रहने के आह्वान’ के मद्देनजर कोई मतदान नहीं हुआ. स्वायत्तता की मांग पर दबाव डालने के लिए पूर्वी नगा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) द्वारा मतदान के दिन से पहले पूर्ण बंद का आह्वान किया गया था.

नगालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए शुक्रवार (19 अप्रैल) को मतदान हुआ था, जहां पर मुकाबला एनडीपीपी के चुम्बेन मरी, कांग्रेस के सुपोंगमेरेन जमीर और निर्दलीय हेइथुंग तुंगो लोथा के बीच था.

56 प्रतिशत मतदान हुआ

नगालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट पर शुक्रवार को करीब 56 प्रतिशत मतदान हुआ. मुख्य निर्वाचन अधिकारी व्यासन आर. ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पूर्वी नगालैंड के 4 लाख से अधिक मतदाताओं ने वोट डालने से परहेज किया जिसकी वजह से पिछले चुनावों की तुलना में ‘इस बार राज्य में मतदान का प्रतिशत सबसे कम है’. नगालैंड में 2014 में देश में सबसे अधिक 87.82 प्रतिशत और 2019 में 83 प्रतिशत मतदान हुआ था.

इन 6 जिलों में मतदान नहीं हुए

पूर्वी नगालैंड के छह जिले किफिरे, लॉन्गलेंग, मोन, नोक्लाक, शामतोर और तुएनसांग हैं, जहां शुक्रवार को मतदान नहीं हुए. वे राज्य की आबादी का 30% से अधिक हिस्सा बनाते हैं और नगालैंड विधानसभा की 60 सीटों में से 20 सीटों पर उनका कब्जा है.

बीते फरवरी माह में ENPO और आदिवासी संगठनों द्वारा इन जिलों में राज्य और केंद्र सरकार के किसी भी चुनाव से ‘दूर रहने’ का आह्वान किया गया था. संगठनों की ओर से कहा गया था कि लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता की घोषणा से पहले तक अगर फ्रंटियर नगालैंड क्षेत्र के निर्माण की पेशकश का निपटारा भारत सरकार द्वारा गृह मंत्रालय के माध्यम से नहीं किया जाता है, तो किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया जाएगा.

कोई भी मतदान केंद्र नहीं पहुंचा

अधिकारियों ने बताया कि इन 6 जिलों के लोग ENPO के साथ एकजुटता दिखाने के लिए घरों में ही रहे. इन जिलों में 738 मतदान केंद्र हैं और 4 लाख से अधिक मतदाता हैं.

इन 6 जिलों में मतदानकर्मी मतदान केंद्रों पर 9 घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन ‘फ्रंटियर नगालैंड क्षेत्र’ की मांग पर जोर देने के लिए संगठन द्वारा बंद के आह्वान के मद्देनजर क्षेत्र के 4 लाख मतदाताओं में से कोई भी मतदान करने नहीं आया.

सीईओ के ‘कारण बताओ नोटिस’ का जवाब देते हुए ईएनपीओ ने कहा कि ‘बंद करना सभी आदिवासी निकायों का एक स्वैच्छिक निर्णय था और उसे जबरन लागू नहीं किया गया. संगठन ने किसी भी व्यक्ति के अधिकारों में कटौती नहीं की, बल्कि वे सभी समान उद्देश्य के लिए एकजुट हुए.’

मतदान केंद्र पर कब्जा करने की शिकायत

सीईओ ने कहा कि कोहिमा, मोकोकचुंग और फेक जिलों के कुछ मतदान केंद्रों पर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा मतदान केंद्र पर कब्जा करने की शिकायतें मिली, लेकिन क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट द्वारा सत्यापित किए जाने के बाद आरोपों को खारिज कर दिया गया.

यह पूछे जाने पर कि क्या पुनर्मतदान की आवश्यकता होगी, नगालैंड संसदीय चुनाव के निर्वाचन अधिकारी सुशील कुमार पटेल ने कहा कि फिलहाल पुनर्मतदान की कोई मांग नहीं है, लेकिन अंतिम फैसला शनिवार (20 अप्रैल) को चुनाव लड़ रहे दलों की उपस्थिति में मतदानकर्मियों के दस्तावेजों की जांच के बाद ही लिया जाएगा.

-भारत एक्सप्रेस

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