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G20 घोषणा पत्र पर अमेरिका-रूस की रजामंदी, लेकिन यूक्रेन को क्यों रास नहीं आया ‘नई दिल्ली डिक्लेरेशन’?

भारत की अध्यक्षता में आयोजित किए गए दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन का समापन हो गया. शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा पत्र जारी किया.

37 पन्ने के घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से मंजूरी

भारत की अध्यक्षता में आयोजित किए गए दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन का समापन हो गया. शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा पत्र जारी किया. जिसको लेकर उन्होंने कहा कि इस पत्र को सभी देशों की मंजूरी मिल गई है. वहीं भारत की तरफ से जारी किए गए घोषणा पत्र को लेकर यूक्रेन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस घोषणा पत्र में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसपर गर्व किया जा सके. दूसरी तरफ अमेरिका और रूस ने इसकी तारीफ की.

घोषणा पत्र पर क्या बोला अमेरिका ?

नई दिल्ली घोषणा पत्र को लेकर विश्व समुदाय के नेताओं ने एक सुर में इसकी तारीफ की. अमेरिका ने घोषणापत्र को लेकर कहा कि ” घोषणा पत्र में कहा गया है कि किसी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता या फिर राजनीतिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के लिए किसी भी तरह से बल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, ये बात सराहना के काबिल है.”

“जी-20 शिखर सम्मलेन एक मील का पत्थर साबित हुआ है”

वहीं रूस ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में हुआ जी-20 शिखर सम्मलेन एक मील का पत्थर साबित हुआ है. इसके साथ ही लावरोव ने आगे कहा कि यूक्रेन ने अपने देश की क्षेत्रीय अखंडता को अपने हाथों से नष्ट किया है. उन्होंने कहा कि ” मेरा मानना है कि हमारे कुछ पश्चिमी सहयोगी भी इसे जानते हैं और अच्छी तरह से समझते भी हैं कि रूस की रणनीतिक हार पर बाजी खेल रहे हैं. भारत ने जो घोषणा पत्र जारी किया है उसमें यूक्रेन युद्ध का जिक्र तो था, लेकिन इसमें सीधे तौप पर रूस का नाम नहीं लिया गया. जिससे भारत ने इस बात को भी इस घोषणा पत्र के जरि स्पष्ट कर दिया कि जी-20 भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने का कोई मंच नहीं है.

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यूक्रेन ने जताई नाराजगी

जी-20 घोषणा पत्र को जिस कूटनीति के साथ जारी किया गया है उसकी सभी देश सराहना कर रहे हैं, लेकिन जी-20 सम्मेलन में न बुलाए जाने और घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस का नाम न लिए जाने से यूक्रेन नाराज है. उसने इसपर अपनी तीखी प्रतिक्रिया भी दी है. यूक्रेन के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि घोषणा पत्र में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसपर गर्व किया जा सके. अगर यूक्रेन जी-20 सम्मेलन में मौजूद होता तो सदस्य देशों को स्थिति की बेहतर समझ होती है. विदेश मंत्रालय ने ये कहते हुए नाराजगी जाहिर की कि घोषणा पत्र में युद्ध का जिक्र किया गया, लेकिन रूस का नाम तक नहीं लिया गया.

37 पन्ने के घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से मंजूरी

9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन से भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली. जहां जी-20 देशों ने 37 पन्ने के घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी. भारत ने विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर सभी सदस्यों की आम सहमति हासिल की. जिसमें यूक्रेन पर रूस के हमले का जिक्र करने से दूरी बनाई गई. इसके साथ ही सभी देशों से अपील की गई है कि वे एकदूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का भी आह्वान किया गया.

-भारत एक्सप्रेस

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