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‘45,000 मौतों की जिम्मेदार थी अनुच्छेद 370’ मोदी सरकार का पक्ष रखते हुए लोकसभा में दहाड़े गृहमंत्री अमित शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के मसले पर संसद में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर की मुसीबतों की जड़ खत्म कर दी है.

Amit Shah in Parliament: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने को लेकर कहा है कि कुछ लोगों को अनुच्छेद 370 खत्म करने का फैसला खटक गया है. लोकसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2023 को लेकर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा है कि अनुच्छेद 370 के चलते वहां के लोगों के साथ अन्याय हुआ और उनको खूब अपमानित किया गया है. उन्होंने कहा है कि यह सरकार द्वारा पेश बिल उन सभी लोगों को न्याय दिलाने वाला है. गृहमंत्री ने आगे कहा है कि मोदी सरकार ने उस अनुच्छेद 370 को खत्म किया है, जिसके चलते राज्य मे 45000 लोगों की मौत हुई है.

मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में पेश बिल को लेकर अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना भी साधा है. अमित शाह ने कहा कि वह बोले ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pok) की समस्या पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की वजह से हुई. पूरा कश्मीर हाथ आए बिना सीजफायर कर लिया था वरना वह हिस्सा कश्मीर का होता. शाह के इस बयान पर सदन में हंगामा भी हुआ, इसके बाद कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट कर लिया था.

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मोदी सरकार की नीतियों को सराहा

अमित शाह ने कहा है कि बिल के नाम के साथ सम्मान जुड़ा है, इसे वही लोग देख पाते हैं, जो अपने से पीछे रह गए लोगों की अंगुली पकड़ कर संवेदना के साथ उन्हें आगे बढ़ाना चाहते हैं. वो लोग इसे नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक के लिए करते हैं. गृह मंत्री ने आगे कहा कि नरेन्द्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं. अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाना कुछ लोगों को खटक गया है.

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याद आया पुराना दौर

कश्मीर में आतंकवाद का दौर याद करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि 1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और वह बड़ा भयावह दृश्य था. जो लोग इस जमीन को अपना देश समझकर रहते थे, उन्हें बाहर निकाल दिया गया और किसी ने उनकी परवाह नहीं की. जिन लोगों पर इसे रोकने की जिम्मेदारी थी वे इंग्लैंड में छुट्टियों का आनंद ले रहे थे. जब कश्मीरी पंडितों को विस्थापित किया गया, तो वे अपने देश में शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर हो गए.

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गृहमंत्री ने कहा है कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवार और 1,57,968 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए. यह विधेयक उन्हें अधिकार दिलाने के लिए है, यह विधेयक उन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए है.

-भारत एक्सप्रेस

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