(प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जब धोखाधड़ी या धन की हेराफेरी का कोई आरोप नहीं है, तो एक बैंक कर्ज वसूली के लिए लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) नहीं जारी कर सकता.
न्यायालय ने एक कंपनी के पूर्व निदेशक के खिलाफ जारी एलओसी को रद्द कर दिया, जो उस कर्ज को चुकाने में विफल रही, जिसमें वह गारंटर बना था, इस बात पर जोर देते हुए कि एलओसी उस व्यक्ति के लिए एक बड़ी बाधा है, जो विदेश यात्रा करना चाहता है.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि एलओसी विदेश यात्रा करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए एक बड़ी बाधा है. किसी व्यक्ति को मजबूर करने वाले कारणों के अलावा विदेश जाने के उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि इस दशा में इस अदालत की राय है कि कानून में उपलब्ध सभी उपायों का सहारा लेने के बाद बैंक उस व्यक्ति से कर्ज वसूली के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर एलओसी जारी करने की कवायद नहीं कर सकता है. खासकर जब वह अधिक भुगतान करने में असमर्थ हो और उसके खिलाफ ऋण धोखाधड़ी में शामिल होने या ऋण राशि के गबन का आरोप न हो.
69 करोड़ रुपये के कर्ज की गारंटी दी थी
जज ने कहा कि मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही लंबित नहीं है और न ही उसके खिलाफ गबन में शामिल होने का कोई आरोप है. वह कंपनी के निदेशकों में से एक था, जिसने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से प्राप्त 69 करोड़ रुपये के कर्ज की गारंटी दी थी. बाद में उन्होंने उस कंपनी से इस्तीफा दे दिया था और दूसरी कंपनी में नौकरी करने लगा था. कंपनी का ऋण चुकाने में विफल रहने के बाद बैंक ने कई कानूनों के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही शुरू की और संबंधित विभाग से एलओसी जारी करने का भी अनुरोध किया था.
विदेश यात्रा करने का अधिकार
कोर्ट ने कहा कि संविधान की अनुच्छेद 21 ने विदेश यात्रा करने के अधिकार की गारंटी दी गई है. इसे मनमाने एवं अवैध तरीके से नहीं छीना जा सकता है. अब बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां बैंक बिना किसी आपराधिक कार्यवाही शुरू किए पैसे वसूलने के उपाय के तौर पर एलओसी जारी करने पर जोर दे रहे हैं.
अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार के अनुसार, एलओसी तब जारी की जा सकती है, जब किसी व्यक्ति की विदेश रवानगी भारत की संप्रभुता या सुरक्षा या अखंडता या द्विपक्षीय संबंधों अथवा भारत के रणनीतिक या आर्थिक हितों के लिए हानिकारक हो. बैंक ऋण चूक के हर मामले में एलओसी का सहारा नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि नागरिकों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए. इसके मद्देनजर याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी एलओसी को रद्द किया जाता है.
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-भारत एक्सप्रेस