
Bihar Politics: बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) होने हैं. चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को बड़ा झटका लगा है. मुस्लिम संगठनों ने उनकी इफ्तार पार्टी में शामिल न होने का फैसला लिया है.
मुस्लिम संगठनों का कहना है कि जेडीयू ने केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Bill) का समर्थन किया है. इसी कारण उन्होंने नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बायकॉट किया.
इमारत-ए-शरिया ने इस संबंध में एक पत्र जारी किया. इसमें कहा गया कि उन्होंने 23 मार्च को मुख्यमंत्री की इफ्तार पार्टी से दूर रहने का निर्णय लिया. संगठन का मानना है कि वक्फ बिल मुसलमानों की आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति को कमजोर करेगा.
नीतीश कुमार पर वादाखिलाफी का आरोप
इमारत-ए-शरिया ने नीतीश कुमार पर धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों से भटकने का आरोप लगाया. संगठन के अनुसार, बीजेपी के साथ उनका गठबंधन और वक्फ बिल का समर्थन उनकी पुरानी प्रतिबद्धताओं के खिलाफ है.
मुस्लिम संगठनों ने पत्र में लिखा कि सरकार की नीतियां ही लोगों का भरोसा तय करती हैं. केवल औपचारिक दावतें और इफ्तार पार्टियां सद्भावना नहीं बढ़ा सकतीं. सरकार को ठोस फैसले लेने होंगे.
आरजेडी ने किया समर्थन
मुस्लिम संगठनों के इस फैसले का आरजेडी (RJD) ने समर्थन किया है. पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि जेडीयू दोहरा मापदंड अपना रही है. एक तरफ वह वक्फ विधेयक का समर्थन कर रही है और दूसरी तरफ इफ्तार पार्टी का आयोजन कर रही है.
जमीयत उलमा-ए-हिंद भी विरोध में
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी इफ्तार पार्टी से दूरी बनाए रखने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेता धर्मनिरपेक्षता की बात करते हैं, लेकिन मुसलमानों के मुद्दों पर चुप रहते हैं.
अरशद मदनी ने कहा कि ये नेता सत्ता के लिए मुसलमानों पर हो रहे अन्याय पर चुप हैं. वक्फ संशोधन विधेयक पर उनका रुख दिखाता है कि वे केवल अपने राजनीतिक लाभ के बारे में सोचते हैं. धर्मनिरपेक्षता की उन्हें कोई चिंता नहीं है.
-भारत एक्सप्रेस
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