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नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े का मामला, कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी ने SC में दाखिल की रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पता लगा कि कानून में किसी भी अधिकार के बिना भूमि मालिकों को नोएडा प्राधिकरण ने मुआवजा दिया.

सुप्रीम कोर्ट

नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है. सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ठ नही थी. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी से मामले में मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े की गम्भीरता से जांच करने के लिए कहा था. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी की जांच का दायरा भी बढ़ाया था.

10 से 15 साल में हुए बड़े जमीन अधिग्रहण के मुआवजे की जांच 

नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख काफी सख्त रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े से जुड़े मामले की जांच के लिए कहा. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा अथॉरिटी द्वारा पिछले 10 से 15 साल में जितने बड़े जमीन अधिग्रहण को लेकर मुआवजा वितरण किया गया है उस की जांच की जाए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इन सालों में मुआवजा वितरण में अगर कुछ गलत हुआ है या फिर नोएडा अथॉरिटी द्वारा की गयी विभागीय जांच में कोई अधिकारी प्रथम दृष्टया में संलिप्त पाया गया हो तो उसकी भी रिपोर्ट दाखिल की जाए.

17 जनवरी 2024 को मामले की अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी को चार हफ्ते में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 17 जनवरी 2024 को करेगा.

यह है मामला

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच के लिए कमेटी का गठन किया था. आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पता लगा कि कानून में किसी भी अधिकार के बिना भूमि मालिकों को नोएडा प्राधिकरण ने मुआवजा दिया. इसे लेकर एक  एफआईआर भी दर्ज की गई, लेकिन नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई. जांच नहीं करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की कोर्ट ने खिंचाई की थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि यह मामला कोई अकेली घटना नहीं है.

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दरअसल सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट  के एक आदेश को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी. नोएडा के दो अधिकारियों और एक भूमि मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है. इसे आपराधिक साजिश बताया गया है.

-भारत एक्सप्रेस



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