Chandrayaan 3
Chandrayaan 3 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के जरिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. 15 अगस्त को लैंडर विक्रम ने लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) से चंद्रमा की आश्चर्यजनक तस्वीरें ली हैं. वीडियो में चांद को बेहद करीब से दिखाया गया है. 14 जुलाई, 2023 को भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया गया था.
Chandrayaan-3 Mission:
View from the Lander Imager (LI) Camera-1
on August 17, 2023
just after the separation of the Lander Module from the Propulsion Module #Chandrayaan_3 #Ch3 pic.twitter.com/abPIyEn1Ad— ISRO (@isro) August 18, 2023
23 अगस्त को सॉफ्ट टचडाउन करेगा लैंडर विक्रम
स्वतंत्रता दिवस पर रिकॉर्ड किए गए पहले वीडियो में चांद पर अंधेरा दिखाई दे रहा है. इसी एरिया में लैंडर विक्रम लैंडर 23 अगस्त को सॉफ्ट टचडाउन करने जा रहा है. वहीं दूसरे वीडियो में बैकग्राउंड में चंद्रमा के साथ पृथ्वी को देखा जा सकता है. यह वीडियो गुरुवार को इसरो द्वारा सफलतापूर्वक किए गए लैंडिंग मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल को अलग करने के तुरंत बाद कैप्चर किया गया था. वीडियो में फैब्री, जिओर्डानो ब्रूनो और हरखेबी जे सहित दूर-दराज के चांद के इलाके दिखाई दे रहे हैं.
अब लैंडर विक्रम को खुद चांद तक पहुंचना होगा
बता दें कि सॉफ्ट लैंडिंग करते वक्त विक्रम के पास सबसे बड़ी चुनौती अपनी गति को कम करते हुए चांद तक पहुंचना होगा क्योंकि, अब तक की दूरी ‘प्रोपल्शन मॉड्यूल’ ने तय कराई है. लेकिन, अब लैंडर विक्रम को खुद से चांद तक पहुंचना होगा. अब विक्रम लैंडर गोलाकार ऑर्बिट में भी नहीं घूमेगा, अब यह 30 किमी X 100 किमी की अंडाकार ऑर्बिट के चक्कर लगाने के लिए अपनी ऊंचाई कम करेगा. गति को धीमा करने के लिए इसके इंजनों को रेट्रोफायरिंग यानी उल्टी दिशा में घुमाया जाएगा.
साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनेगा भारत
बता दें कि चंद्रमा पर मौसम अनुकूल नहीं रहता है. दक्षिणी ध्रुव पर हालात तो और ज्यादा कठीन होते हैं. अभी तक कोई भी देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सका है. चांद की सतह पर उतरने वाले अभी तक के सारे अंतरिक्ष यान भूमध्यरेखीय क्षेत्र या उत्तर-दक्षिण के आसपास उतरे हैं. दक्षिणी ध्रुव पर रोशनी भी काफी कम होती है और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां पर बर्फ का फॉर्म में पानी मिल सकता है. अगर भारत सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता है, तो प्रज्ञान रोवर यहां से कई सारी बहुमूल्य जानकारियां भेज सकता है, जो आने वाले दिनों में एक स्पेस साइंस में एक मील का पत्थर साबित होगा.