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पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां की याचिका कोर्ट ने की स्वीकार, जानें किस काम के लिए मांगी गई अनुमति

मार्च 2020 में इशरत जहां को दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों को लेकर यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था. मार्च 2022 में उन्हें जमानत मिल गई थी.

इशरत जहां

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी पूर्व कांग्रेस पार्षद और वकील इशरत जहां द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्हें दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) के बाहर कानून की प्रैक्टिस करने की अनुमति मांगी थी. इशरत को 14 मार्च 2022 को इस शर्त पर जमानत दी गई थी कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना एनसीआर के क्षेत्राधिकार को नहीं छोड़ेंगी.

इशरत जहां ने दाखिल की थी यह याचिका

इशरत जहां ने विशेष न्यायाधीश समीर बाजपेयी के समक्ष एक याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि यह शर्त उसे एनसीटी दिल्ली के अधिकार क्षेत्र के बाहर प्रैक्टिस करने से रोकती है. उनके वकील ने कहा कि इशरत बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में नामांकित एक प्रैक्टिसिंग वकील हैं और अपनी कानून प्रैक्टिस को एनसीआर से बाहर ले जाने की इच्छुक हैं. यह तर्क दिया गया कि इशरत ने जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है और उसने हमेशा अदालत के आदेशों का पालन किया है.

याचिका के विरोध में दिए गए ये तर्क

विशेष अभियोजक ने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि इशरत को पहले से ही उचित स्वतंत्रता है और उसके पूर्व आचरण को देखते हुए कोई और राहत नहीं दी जानी चाहिए. अदालत ने कहा जमानत दिए जाने के बाद से जांच एजेंसी या अभियोजन पक्ष ने अदालत के ध्यान में कोई तथ्य नहीं लाया है कि आवेदक ने जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन किया है, अदालत प्रार्थना के अनुसार शर्त को संशोधित करना उचित मानती है.

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कोर्ट ने दी यह राहत

अदालत ने जमानत की शर्त को संशोधित करते हुए कहा कि आवेदक न तो अदालत की पूर्व अनुमति के बिना भारत का क्षेत्र छोड़ेगी और न ही किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधि में शामिल होगी. इशरत को मार्च 2020 में भारतीय दंड संहिता, सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत कथित अपराध करने के लिए दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्होंने विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी.

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