
थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स और मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड की संयुक्त बोली को रक्षा मंत्रालय ने दी मंजू
भारत के रक्षा मंत्रालय ने थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (ThyssenKrupp Marine Systems) और मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (MDL) की संयुक्त बोली को छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए P75(I) प्रोजेक्ट के तहत तकनीकी रूप से अनुपालक (compliant) पाया है. यह परियोजना भारतीय नौसेना की पनडुब्बी क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू की गई है.
मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड ने थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स को इस महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत कराया है कि भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस संयुक्त बोली को मंजूरी दी है और इसे आगे की प्रक्रिया के लिए खोल दिया है. इस कदम के साथ ही P75(I) प्रोजेक्ट की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है, जो भारत में रक्षा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम
P75(I) प्रोजेक्ट भारत सरकार की “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस परियोजना के तहत भारतीय नौसेना के लिए छह नई पीढ़ी की पारंपरिक पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा. ये पनडुब्बियां आधुनिक तकनीक से लैस होंगी और भारतीय समुद्री सुरक्षा को और मजबूत बनाएंगी.
थिसेनक्रुप और मझगांव डॉकयार्ड की साझेदारी
थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स, जो कि समुद्री और रक्षा क्षेत्र में अपनी उन्नत तकनीकी क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध है, ने भारत की प्रमुख शिपबिल्डिंग कंपनी मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड के साथ इस परियोजना के लिए साझेदारी की है. दोनों कंपनियों की यह साझेदारी तकनीकी श्रेष्ठता और स्थानीय निर्माण क्षमता को एक साथ लाने का प्रयास है.
तकनीकी और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
P75(I) प्रोजेक्ट के तहत बनने वाली पनडुब्बियां आधुनिक एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक से लैस होंगी, जो इन्हें अधिक समय तक पानी के भीतर संचालन करने में सक्षम बनाएगी. इसके साथ ही, इन पनडुब्बियों में अत्याधुनिक हथियार प्रणाली और सेंसर लगाए जाएंगे, जो भारत की समुद्री ताकत को और अधिक सशक्त बनाएंगे. रक्षा मंत्रालय द्वारा बोली को अनुपालक घोषित किए जाने के बाद, अब आगे की प्रक्रिया में मूल्यांकन और अंतिम अनुबंध पर चर्चा होगी. इस परियोजना के माध्यम से भारत में अत्याधुनिक रक्षा तकनीक के निर्माण और स्थानीय उद्योगों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.
यह परियोजना न केवल भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि भारतीय रक्षा निर्माण क्षेत्र में वैश्विक मानकों को भी स्थापित करेगी. थिसेनक्रुप और मझगांव डॉकयार्ड की यह साझेदारी भारतीय समुद्री रक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है.
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-भारत एक्सप्रेस
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