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Delhi CM: रामलीला मैदान में 20 फरवरी को होगा मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण, भाजपा ने अब तक नहीं किया CM फेस का ऐलान

दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद 20 फरवरी को नए मुख्यमंत्री शपथ लेंगे, लेकिन भाजपा ने अभी तक अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

Delhi CM Oath Ceremony

Delhi CM: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के 12 दिन बाद, 20 फरवरी को नए मुख्यमंत्री शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह रामलीला मैदान में आयोजित होगा. हालांकि, भाजपा ने अभी तक अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. पार्टी ने 19 फरवरी को विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें CM पद के लिए नाम तय किया जाएगा.

पहले खबर थी कि 17 फरवरी को भाजपा विधायक दल की बैठक होगी और 18 फरवरी को शपथ ग्रहण होगा. लेकिन कुछ ही घंटों बाद यह कार्यक्रम दो दिन आगे बढ़ा दिया गया. इस बदलाव की कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई गई.

भव्य शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी

भाजपा सूत्रों के अनुसार, शपथ ग्रहण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री, भाजपा और NDA शासित 20 राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शामिल होंगे. इसके अलावा, उद्योगपति, फिल्मी हस्तियां, क्रिकेट खिलाड़ी, साधु-संत और विदेशी राजनयिक भी इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.

दिल्ली के 12 से 16 हजार लोगों को भी इस समारोह में आमंत्रित करने की योजना बनाई गई है. कार्यक्रम की तैयारियों की जिम्मेदारी भाजपा महासचिव विनोद तावड़े और तरुण चुघ को सौंपी गई है. आज शाम को वे दिल्ली भाजपा नेताओं के साथ बैठक कर व्यवस्थाओं की समीक्षा करेंगे.

आतिशी का तंज – भाजपा के पास CM फेस ही नहीं

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता को उम्मीद थी कि 8 फरवरी को चुनाव परिणाम आने के बाद 9 फरवरी को मुख्यमंत्री का ऐलान होगा और 10 फरवरी को शपथ ग्रहण संपन्न हो जाएगा. उन्होंने कहा, “दिल्ली की जनता चाहती थी कि 11 फरवरी से नई सरकार काम शुरू कर दे, लेकिन यहां सिर्फ तारीखें बढ़ाई जा रही हैं. भाजपा अब तक अपना मुख्यमंत्री तय नहीं कर पाई है, यह साफ दिखाता है कि उनके पास कोई चेहरा ही नहीं है.”

दिल्ली के नए मुख्यमंत्री की रेस में 6 नाम

भाजपा ने अब तक मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है, लेकिन संभावित दावेदारों के नाम सामने आने लगे हैं. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने 15 विधायकों के नामों पर चर्चा की थी, जिनमें से 9 नाम शॉर्टलिस्ट किए गए हैं. इनमें से ही मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का चयन किया जाएगा.

दिल्ली मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 7 मंत्री हो सकते हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों से एक-एक भाजपा विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है. पार्टी बिहार और पंजाब चुनाव के साथ जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नामों को अंतिम रूप देने में जुटी है.

मुख्यमंत्री पद की रेस में ये 6 दावेदार सबसे आगे

रविंद्र इंद्रराज सिंह: रविंद्र इंद्रराज सिंह पंजाबी दलित समुदाय से आते हैं और पहली बार विधायक बने हैं. भाजपा लंबे समय से दलित वोटबैंक को साधने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब तक उसे खास सफलता नहीं मिली. लोकसभा चुनाव में भी दलित मतदाताओं की नाराजगी भाजपा के लिए महंगी साबित हुई थी. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में भाजपा को चुनौती मिली. ऐसे में भाजपा दलित समुदाय को संदेश देने के लिए रविंद्र को मुख्यमंत्री बना सकती है.

शिखा राय: ग्रेटर कैलाश-1 वार्ड से दूसरी बार पार्षद बनीं शिखा राय पेशे से वकील हैं और भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष रह चुकी हैं. उन्होंने इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री सौरभ भारद्वाज को हराया. भाजपा महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने और महिला विरोधी होने के आरोपों को खारिज करने के लिए शिखा राय को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकती है.

प्रवेश वर्मा: पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से आते हैं. वे नई दिल्ली सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने हैं और दो बार पश्चिमी दिल्ली से सांसद भी रह चुके हैं. भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर हरियाणा में नॉन-जाट सीएम की नाराजगी कम करने और किसान आंदोलन से उपजे विरोध को शांत करने की रणनीति अपना सकती है.

विजेंद्र गुप्ता: तीसरी बार विधायक बने विजेंद्र गुप्ता भाजपा का बड़ा वैश्य चेहरा माने जाते हैं. वे दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं और संघ में उनकी मजबूत पकड़ है. छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले विजेंद्र निगम पार्षद से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तक का सफर तय कर चुके हैं. संघ और संगठन में उनकी गहरी पैठ को देखते हुए वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं.

राजकुमार भाटिया: दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष राजकुमार भाटिया का संघ और संगठन में मजबूत नेटवर्क है. विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए गेमचेंजर साबित हुए झुग्गी-झोपड़ी अभियान में उनकी अहम भूमिका रही. RSS और ABVP की पृष्ठभूमि के कारण उनका प्रोफाइल और मजबूत हुआ है.

जितेंद्र महाजन: पंजाबी वैश्य समुदाय से आने वाले जितेंद्र महाजन तीसरी बार विधायक बने हैं. वे ABVP से राजनीति में आए और लंबे समय से RSS से जुड़े हुए हैं. अपनी सादगी के लिए चर्चित महाजन स्कूटी से सफर करना पसंद करते हैं और आम जनता के बीच लोकप्रिय हैं.

भाजपा जल्द ही अपने मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर सकती है. 19 फरवरी को विधायक दल की बैठक में इस पर अंतिम फैसला होगा. इसके बाद 20 फरवरी को रामलीला मैदान में भव्य शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा.


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-भारत एक्सप्रेस



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