दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिव्यांगों पर आवारा कुत्तों और बंदरों के हमले से संबंधित एक याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. यह याचिका NGO धनंजय संजोगता फाउंडेशन की ओर से दायर की गई है. मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी.
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने टिप्पणी की कि समाज का कर्तव्य है कि वह अपनी असुरक्षित आबादी का ख्याल रखे. उन्होंने कहा, “हम उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते. हमें इस प्रणाली को सुधारना चाहिए. दुनिया में कहीं भी आपको कुत्ते और बंदर घूमते हुए नहीं मिलेंगे.”
कोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान दिल्ली के मुख्य सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में मौजूद रहने का आदेश दिया है. अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आपने जो मुद्दे उठाए हैं, वे बहुत महत्वपूर्ण हैं, और हम इस पर विचार करेंगे.
याचिकाकर्ता के वकील, दृष्टिबाधित अधिवक्ता राहुल बजाज ने बताया कि याचिका में न केवल हमलों का जिक्र किया गया है, बल्कि विकलांग व्यक्तियों द्वारा चिकित्सा या सेवा पशुओं के उपयोग के लिए सक्षम ढांचे की कमी को भी उजागर किया गया है. बजाज ने कहा कि पशु जन्म नियंत्रण नियम विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि ये आवारा पशुओं के हमले के मुद्दे को संबोधित करने में विफल रहते हैं, जो खुद का बचाव करने में असमर्थ होते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सफेद छड़ी एक छड़ी जैसी होती है, जिसे जानवर खतरे के रूप में देखते हैं और इसलिए हमला करते हैं.
बता दें कि इससे पहले भी आवारा कुत्तों और बंदरों के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है. उस मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने नागरिक एजेंसियों को सार्वजनिक स्थानों पर बंदरों को खाना खिलाने के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने के लिए कहा था.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.