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दिल्ली हाईकोर्ट ने कतर में कैद भारतीय नागरिक के लिए विदेश मंत्रालय और दूतावास को जारी किया नोटिस, काउंसलर एक्सेस पर मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने कतर में कैद भारतीय नागरिक मुहम्मद कयालवक्कथ बावा के लिए काउंसलर एक्सेस की सुविधा और कानूनी सहायता मुहैया कराने की याचिका पर विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास को नोटिस जारी किया. बावा को चेक बाउंस मामले में दोषी ठहराकर 12 साल की सजा दी गई थी.

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो).

कतर में कैद भारतीय नागरिक के पिता की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने विदेश मंत्रालय और कतर में स्थित भारतीय दूतावास को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता ने अपने बेटे मुहम्मद कयालवक्कथ बावा के लिए काउंसलर एक्सेस की सुविधा मुहैया कराने के आदेश देने की मांग की है, जो जून 2016 से कतर में जेल की सजा काट रहा है और जुलाई 2028 तक जेल में रहना है. बावा को कतर की एक अदालत ने चेक बाउंस करने का दोषी ठहराया था और उसे 12 साल की सजा सुनाई गई थी.

कानूनी कार्रवाई में असमर्थ

याचिका में कहा गया है कि शेयरों को हस्तांतरित करने के लिए बावा के हस्ताक्षर कथित तौर पर उसके व्यापारिक साझेदारों द्वारा जाली बनाए गए थे. याचिका में कहा गया है कि यह जालसाजी का एक स्पष्ट मामला है और बाबा अपने कारावास के कारण उन व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में असमर्थ है, जिन्होंने उसके साथ धोखाधड़ी की है.

जालसाजी के बारे में शिकायत दर्ज कराई

बताया जाता है कि याचिकाकर्ता ने कतर के अधिकारियों के समक्ष जालसाजी के बारे में शिकायत दर्ज कराई लेकिन उन्होंने जांच को आगे नहीं बढ़ाया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने विदेश मंत्रालय द्वारा स्थापित काउंसलर सेवा प्रबंध प्रणाली के समक्ष शिकायत दर्ज कराई, जिसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों को भारतीय दूतावासों द्वारा दी जाने वाली काउंसलर, सेवाओं से संबंधित शिकायतों को ट्रैक करने में सहायता प्रदान करना है. शिकायत को यह कहते हुए बंद कर दिया गया कि मिशन ने स्थानीय कानूनों की सीमाओं के भीतर हर संभव सहायता प्रदान की है.

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प्रतिवादी-अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और प्रतिवादी-अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके बेटे को विदेशी न्यायालय के समक्ष कानूनी प्रतिनिधित्व और कानूनी सहायता मुहैया कराई जाए. याचिकाकर्ता का तर्क है कि बावा काउंसलर संबंधों के लिए वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 36 के तहत अपने अधिकारों के हकदार है, जिसे वर्तमान मामले में अस्वीकार कर दिया गया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि अधिकारी बावा के लिए एक वकील नियुक्त करें ताकि वह धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा चला सके.

-भारत एक्सप्रेस



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