दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीए को यमुना नदी के किनारे, नदी के तल और नदी में बहने वाले नालों पर सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटाने का आदेश दिया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने डीडीए उपाध्यक्ष को यमुना पर अतिक्रमण हटाने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली पुलिस, दिल्ली मेट्रो और अन्य प्राधिकरणों के साथ समन्वय करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया.
बैठक बुलाने के दिए आदेश
अदालत ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है. जो एमसीडी, दिल्ली पुलिस, डीएमआरसी, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वन विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे. डीडीए के उपाध्यक्ष एक सप्ताह के भीतर सभी संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाएंगे.
6 सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने निर्देश
पीठ ने डीडीए के उपाध्यक्ष को छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. 9 सितंबर को मामले की सुनवाई होगी, जिसमें यह जांच की जाएगी कि अदालत के आदेश का अनुपालन किया गया है या नहीं. हाईकोर्ट ने शबनम बर्नी नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिन्होंने यमुना नदी तट पर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के निर्देश देने की मांग की थी. याचिका में अधिकारियों को नदी तट और बाढ़ के मैदानों पर किसी भी तरह के अतिक्रमण को रोकने के निर्देश देने की भी मांग की गई थी.
सरकारी अधिकारियों की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को बताया कि बाढ़ का मैदान क्षेत्र एक निषिद्ध गतिविधि क्षेत्र है और नदी पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है. उन्होंने माना कि इस क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण पानी का बहाव कम हो जाता है, जिससे आस-पास के इलाकों में बाढ़ आ जाती है और कई विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में बाढ़ मानव निर्मित है, क्योंकि यह मुख्य रूप से नालों, नदी के किनारों और नदी तल पर अतिक्रमण के कारण होती है, जिससे यमुना और यमुना में पानी का प्रवाह बाधित होता है. मामले पर विचार करने के बाद उच्च न्यायालय ने यमुना नदी और उसके आस-पास के इलाकों से सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश पारित किए.
-भारत एक्सप्रेस
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